इंडिया की जगह भारत बोलें
अशोक सिन्हा
भारत देश को
स्वतन्त्र हुए 75 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में देश अमृत महोत्सव मना रहा है | इस अवसर पर देशवासियों ने स्वावलंबन, “स्व” की पहचान को
बढ़ावा देने वाले प्रतीकों को प्राथमिकता देना और आत्मनिर्भरता की शपथ ली है|गुलामी के चिन्हों को
हटा कर आत्मगौरव जगाया जा रहा है | ऐसे समय पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघ
चालक श्री मोहन भागवत जी ने देशवासियों का आह्वान किया है कि हमें दैनिक व्यवहार
में india के स्थान पर अपने देश के प्राचीन नाम भारत का ही
अधिकाधिक प्रयोग करना चाहिए| यह आह्वान सर्वथा समीचीन और
सार्थक है | स्वतंत्रता के बाद भारतीय
संस्कृति.सभ्यता, और
सनातन धर्म की अत्यधिक उपेक्षा हुई है | संविधान निर्माण के समय इस देश का एक ही नाम
रखा जाय इस पर बहुत बहस हुई थी| अधिकाँश की राय थी की भगवान् ऋषभदेव के पुत्र
चक्रवर्ती सम्राट भरत के नाम पर (स्कन्द पुराण,अद्ध्याय 37) इस देश का नाम भारत
पड़ा अतः संविधान में देश का नाम भारत ही
रक्खा जाय | इस बात का समर्थन करने वाले सेठ गोविन्द दास,कमलापति त्रिपाठी ,कल्लूर सुब्बा राव,,राम सहाय और हरगोविंद पन्त प्रमुख सदस्य थे | बाबा
भीमराव आम्बेडकर जी ने भी बहुत अच्छी बहस की | इस अवसर पर सभा को अवगत कराया गया
कि india नाम कोई
बहुत पुराना नाम नहीं है |वेदों में तथा पुराणों में कहीं इसका जिक्र नहीं है | इसका प्रयोग यूनानियों, और अंग्रेजों ने देश की पहचान धूमिल
करने हेतु प्रारम्भ किया था | इसमें भारत की आत्मा नहीं झलकती है|परन्तु अनेक तर्कों के बाद भी संविधान
के अनुक्षेद एक में India that is Bharat लिखा गया | यह नामकरण निहित दृष्टिकोण से किया गया | अब भारत के स्वतन्त्र
हुए 75 वर्षों का कालखंड बीत गया है और आज
भी कुछ लोग भारत जैसे प्राचीन नाम के स्थान पर India नाम को अधिक प्रयोग करते हुए अपने को गौरवान्वित अनुभव कर रहें हैं | ऐसे लोग
भूल जातें है की यह युग भारत के सांस्कृतिक पुनर्जागरण का काल है |हम गुलामी के हर चिन्ह को मिटाना
चाहतें है
व्याकरण के अनुसार विशिष्ठ नाम ( प्रॉपर नाउन )
का अनुवाद नहीं होता है |जैसे किसी व्यक्ति का नाम हजारा सिंह हो तो उसे इंग्लिश
में थाउजेंडा सिंह नहीं कहेंगे ,क्यों की
यह उसका विशिष्ठ नाम है |उसे अंग्रेजी भाषा में भी Hajara Singh ही लिखा जायेगा | इसी प्रकार धर्म को भी अंग्रेजी भाषा में Dharma ही लिखा जाता है | देश के नाम में यही सूत्र काम करता है | अमेरिका को English में
भी America ही कहते हैं| जापान को English में भी Japan ही कहते हैं| भूटान को English में भी Bhutan ही कहते हैं| श्रीलंका को English
में भी Sri Lanka ही कहतेहैं, बांग्लादेश को English में भी Bangladesh ही कहतें और बोलते है | नेपाल को English में भी Nepal
ही कहते हैं, पाकिस्तान को English में भी Pakistan ही कहते हैं| फिर भारत को English
में India क्यों कहते हैं? Oxford Dictionary के पृष्ठ नं० 789
पर लिखा है Indian जिसका मतलब ये बताया है old-fashioned
& criminal peoples अर्थात् पिछडे और
घिसे-पिटे विचारों वाले अपराधी लोग। अत: इण्डिया (India) का
अर्थ हुआ असभ्य और अपराधी लोगों का देश। भारत माता तथा भारतीयों का अपमान करने के लिए
विदेशियों ने भारत को India नाम रखा था। इससे देश में भ्रम उत्पन्न हुआ और हम स्व से दूर होते गए | फलतः भारत के तीन नाम प्रचालन में आ गए 1- भारत 2-
हिंदुस्तान 3- India.
भारत नाम की प्राचीनता के कई प्रमाण प्राचीन ग्रंथो में
उपलब्ध है | विष्णु पुराण में वर्णन आया है :-
उत्तरम् यत् समुद्रस्य, हिमाद्रेश्चैव
दक्षिणम्।
वर्षं तद् भारतम् नाम, भारती
यत्र संतति:।।
- विष्णु
पुराण 2.3.1
अर्थात्:
समुद्र के उत्तर में और हिमालय के दक्षिण में जो देश स्थित है उसका नाम
"भारत" है और उसकी संतानें यानी उसके निवासी "भारती" कहे जाते
हैं|
विष्णु पुराण के दूसरे खंड के तीसरे अध्याय के 24वें श्लोक के
अनुसार-
गायन्ति देवा: किल गीतकानि, धन्यास्तु ते भारतभूमिभागे।
स्वर्गापवर्गास्पदमार्गभूते भवन्ति भूय: पुरूषा सुरत्वात्
अर्थ है- देवता हमेशा से यही गान करते हैं कि, जिन्होंने
स्वर्ग और अपवर्ग के बीच में बसे भारत में जन्म लिया, वो
मानव हम देवताओं से भी अधिक धन्य हैं.
महाभारत के आदिपर्व में दूसरे अध्याय के श्लोक 96 के अनुसार -
शकुन्तलायां दुष्यन्ताद् भरतश्चापि जज्ञिवान
यस्य लोकेषु नाम्नेदं प्रथितं भारतं कुलम्
अर्थ है- राजा दुष्यंत और शकुंतला के पुत्र भरत के नाम से
यह भरतवंश संसार में प्रसिद्ध हुआ. दुष्यंत और शकुंलता की प्राचीन प्रेम
कहानी बहुत प्रचलित है. राजा दुष्यंत और शकुंतला के बेटे के नाम भरत पर ही देश का
नाम भारत पड़ा
भागवत पुराण के अध्याय 4 में एक श्लोक के अनुसार-
येषां खलु महायोगी भरतो ज्येष्ठ: श्रेष्ठगुण
आसीद् येनेदं वर्षं भारतमिति व्यपदिशन्ति
अर्थ है कि- भगवान ऋषभ को अपनी कर्मभूमि अजनाभवर्ष में 100 पुत्र
प्राप्त हुए थे, जिनमें उन्होंने अपने ज्येष्ठ पुत्र महायोगी
भरत को अपना राज्य दिया.कहा जाता है कि इन्हीं के नाम से देश का नाम भारतवर्ष
पड़ा.
इसके साथ ही अन्य पुराण जैसे स्कंद पुराण, ब्रह्मांड
पुराण, अग्नि पुराण और मार्कंडेय पुराण आदि में भी भारत नाम
का उल्लेख मिलता है. यही कारण है कि,
आज भी जब हिंदू धर्म में कोई भी पूजा या अनुष्ठान होते हैं तो इसकी
शुरुआत में जब संकल्प लिया जाता है तो इसमें भारत के कई प्राचीन नामों का उच्चारण
किया जाता है. जैसे जम्बू द्वीपे भारत खंडे आर्यावर्ते आदि , लेकिन इन
नामों में इंडिया का जिक्र नहीं आता है | हम भारत माता की जय का उद्घोष बड़े गर्व
से करते है | यह नारा स्वतंत्रता संग्राम का नारा है | गाँधी जी ने भारत छोड़ो का
नारा दिया था | हौसला बढ़ने वाले शब्द मन को मजबूत करतें है |
संविधान का पहला अनुच्छेद इन शब्दों के साथ शुरू होता है :
इंडिया, दैट इज़ भारत...।इसे भारत दैट इज इंडिया भी लिखा जा सकता है |
राष्ट्रगान में भारत भाग्य विधाता शब्द
प्रमुखता से आता है। भारत संचार निगम लिमिटेड, भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड, भारत
पेट्रोलियम जैसे दर्जनों उदाहरण हैं। ऐसा नहीं है कि भारत शब्द अचानक ही देश की
चेतना में लाया जा रहा हो। भुबनेश्वर, ओडिशा की
हाथीगुम्फा के अभिलेखों में इसके पहले प्रमाण मिलते हैं। कलिंग के राजा खारवेल (50 ई.पू.) के
साम्राज्य का वर्णन करते हुए यह अभिलेख कहता है कि अपने शासनकाल के दसवें वर्ष में
उन्होंने भारतवर्ष की विजय का अभियान छेड़ा। भारत या भारतवर्ष शब्द से भारतीयों का
गहरा भावनात्मक लगाव है और कोई भी इसे ठेस नहीं पहुंचाना चाहेगा। खुद पं. नेहरू ने
‘डिस्कवरी ऑफ इंडिया’ में लिखा है कि भारत माता का मतलब है उसके लोग और उसकी जीत
का मतलब है उसके लोगों की जीत। अमिताभ बच्चन और वीरेंद्र सहवाग ने भारत नाम के पक्ष में टिप्पणियां कीं। अक्षय कुमार ने अपनी आगामी
फिल्म की टैगलाइन बदल ली। लॉजिस्टिक कंपनी ब्लू डार्ट ने बड़ा एलान किया है। कंपनी ने अब
अपनी प्रीमियम सेवा डार्ट प्लस का नाम बदलकर भारत प्लस कर दिया है। ब्लू डार्ट
कंपनी ने अपने फैसले की वजह बताते हुए कहा, "यह कदम हमारे उपभोक्ताओं की लगातार विकसित होती
जरूरतों के साथ कदमताल करने की प्रक्रिया के लिए लक्षित है।" कंपनी ने कहा कि
वह सभी हितधारकों को इस बदलाव वाली यात्रा से जुड़ने का न्योता देती है, जिससे हम भारत को पूरी दुनिया और दुनिया को भारत से जोड़ना जारी
रख रहे हैं। प्रधानमंत्री इंडोनेशिया यात्रा पर गए तो अधिकृत घोषणा की गई कि
भारत के प्राइम-मिनिस्टर आसियान समिट में शामिल होने जा रहे हैं!
भारत
की प्राचीनता को ध्यान में रखते हुए भारत के सर्वोच्य न्यायालय में इस देश का नाम
केवल भारत रखने के लिए एक वाद भी दायर किया गया था जिसको एस. ऐ . बोबडे की
अध्यक्षता में तीन जजों की खंड पीठ ने वाद को निरस्त कर दिया था | तर्क यह दिया
गया था कि संविधान के अनुसार दोनों ही नाम प्रयोग किया जा सकता है | राष्ट्रपति श्रीमती
मुर्मू ने जी 20 सम्मलेन के अवसर पर सितम्बर २०२३ में जब रात्रिभोज के अवसर पर भेजे गए निमंत्रण पत्र पर प्रेसिडेंट
ऑफ़ भारत लिखा तब विपक्ष के दलों ने
हंगामा खड़ा किया की देश का नाम बदलने का प्रयास हो रहा है | मोदी I.N.D.I.A. नामक विपक्षी गठबंधन को घृणा करते हैं और उसे तोड़ना चाहतें है | नरेंद्र
मोदी ने इसकी बिना परवाह करते हुए समेलन में भारत के प्रधानमंत्री का खूब प्रयोग
किया और नाम पट्टिका भी लगाई | पूरे विश्व
में सन्देश गया कि भारत अपने पुराने नाम भारत से ही विश्व में पुकारा जाना पसंद
करता है | देश के निवासियों में इस कारण गर्व की अनुभूति हुई और एक नवचेतना का
संचार हुआ | आज आवश्यकता इस बात की है कि जनभावना और भारत के “स्व” का पुनर्जागरण करने
हेतु हम भारत के लोग इंडिया के स्थान पर आज से केवल भारत नाम का ही प्रयोग करें तथा
राजनीतिज्ञों को विवश करें की समय और सामर्थ्य आने पर जनभावना के अनुसार संविधान
में संशोधन कर के देश का एक ही नाम भारत करें |
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* लेखक उत्तर प्रदेश सरकार
के पूर्व वरिष्ठ अधिकारी हैं |सम्प्रति विश्व संवाद केंद्र लखनऊ के सचिव |संपर्क :९४५३१४००३८
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