उत्तर प्रदेश की पत्रकारिता
उत्तर प्रदेश में पत्रकारिता का सम्बन्ध इसाई मिशनरी विरोध और आजादी के आन्दोलन से रहा है |यहाँ पत्रकार एवं पत्रकारिता दोनों अपनी मिशनरी कार्य शैली के कारण अपनी अलग पहचान बनाने में अग्रणी रहें है | हिंदी का पहला अख़बार 1826 में “उदन्त मार्तंड’’ कलकत्ता से जरूर निकला परन्तु उसके संपादक व् प्रकाशक उत्तर प्रदेश के कानपुर से गए प.युगुल किशोर सुकुल थे | उत्तर प्रदेश में श्री गोविन्द रघुनाथ थत्ते के संपादकत्व में राजा शिव प्रसाद “सितारे हिंद’’ ने जनवरी 1845 में “बनारस अखबार’’ का प्रकाशन प्रारंभ किया था जो प्रदेश का पहला अख़बार माना जाता है | बनारस से ही श्री तारा मोहन मिश्र ने 1850 में ‘सुधाकर’ का प्रकाशन किया जिसकी लिपि देवनागरी थी | 1852 में आगरा से मुंशी सदासुख लाल के संपादकत्व में ‘बुद्धि प्रकाश’ का प्रकाशन हुआ | ऐतिहासिक महत्व के ‘कविवचन सुधा’ का प्रकाशन 1868 में भारतेन्दु हरिश्चंद्र ने वाराणसी से किया जिसने हिंदी पत्रकारिता में एक इतिहास रचा |पहले यह मासिक छपता था जो बाद में पाक्षिक छपने लगा | इसके प्रकाशन से हिंदी पत्रकारिता का नया युग प्रारम्भ हुआ | यह हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में छपता था | यहीं से भारतेन्दु जी ने हरिश्चंद्र मैगज़ीन ,हरिशंद्र चन्द्रिका और बाला बोधिनी नामक पत्रिकाएं भी प्रकाशित की |
स्वाधीनता आन्दोलन के समय प्रदेश के पत्रकारिता का मूल स्वर राष्ट्रीयता
,राष्ट्र हित और जनजागरण था| सन 1877 में प्रयाग से प.बाल कृष्ण भट्टने ‘हिंदी
प्रदीप’ मासिक पत्र का प्रकाशन हिंदी प्रवर्धनी सभा प्रयाग के सहयोग से प्रारंभ
किया |इस क्रांतिकारी प्रयास से पत्र को अंग्रेजी शासन का कोपभाजन बनाना पड़ा
क्योंकि इसमें राष्ट्रीयता की प्रखरता इतनी तेज थी जो अंग्रेजों को सहन नहीं हो
रही थी | प्रदेश के प्रतापगढ़ में एक छोटी सी रियासत थी कालाकांकर ,जहाँ अंग्रेजियत
में पले व् इंग्लैण्ड से पढ़े राजा थे रामपाल सिंह | इन्होने कालाकांकर से ही
रायल शीट के दो पन्नों का दैनिक अखबार ‘हिन्दोस्थान’ का प्रकाशन कराया जिसके सम्पादक
थे प.मदन मोहन मालवीय जिनकी मान्यता थी ‘पत्रकारिता एक महान वैज्ञानिक कला है’|
मालवीय जी नें 1907 में प्रयाग से ‘अभुदय’ तथा अंग्रेजी भाषा में ‘The Leader’ नामक पत्र भी निकाला | सन 1871 में प. बुद्धि बल्लभ पन्त ने अल्मोड़ा से
‘अल्मोड़ा समाचार’ निकाला जिसे अंग्रेजों ने बंद करा दिया | महर्षि दयानंद से
प्रेरणा ले कर मुंशी बख्तावर सिंह ने 1870 में शाहजहाँपुर से ‘आर्य दर्पण’
साप्ताहिक निकाला | ऐतिहासिक महत्त्व की कालजयी साहित्यिक पत्रिका ‘सरस्वती’ सन
1900 में प्रकाशित होनी प्रारंभ हुई |
राष्ट्रिय स्वाधीनता संग्राम के समय 1920 में काशी के शिवप्रसाद गुप्त ने
दैनिक ‘आज’ की नींव रक्खी जिसके प्रथम संपादक श्री प्रकाश जी थे| दुसरे नंबर पर
इसके सम्पादक प.बाबूराव विष्णु पराड़कर बने जो मूलतः महाराष्ट्र के थे परन्तु ‘आज’ को इन्होने नया आयाम,नई गति,निर्भीक
राष्ट्रीय विचारधारा व् हिंदी को सुन्दर स्वरुप
प्रदान की | इनपर अंग्रेजों ने
राजद्रोह का अभियोग भी लगाया | क्रांतिकारी पत्रकारिता के क्रम में पराड़करजी के
सहयोग से 1929-30 में श्री सीताराम के संपादकत्व में गुप्तरूप से ‘रणभेरी’का प्रकाशन किया गया जिसके
पीछे पूरी अंग्रेज पुलिस और सी.आई.डी. लगी रही परन्तु उसे पकड़ नहीं सकी |कालांतर
में दैनिक आज का अंग्रेजी संस्करण Today भी प्रकाशित हुआ तथा
‘अवकाश’ पत्रिका का भी प्रकाशन हुआ परन्तु यह बाद में बंद हो गया|
काशी में सन 1930-1942 के
मध्य और आज़ादी के बाद 1975-77 में भूमिगत हो कर साइक्लोस्टाईल या हस्तलिखित भूमिगत
पत्रों का प्रकाशन आन्दोलन को गति प्रदान करने के लिए बड़े पैमाने पर किया गया|
रणभेरी,शंखनाद ,खबर आदि नामों से प्रकाशित इन पत्रों में संपादक व् प्रकाशक के नाम
प्रायः शहर कोतवाल और कलेक्टर मुद्रित रहते थे| ये पत्र विभिन्न स्थानों से और
स्थान बदल कर निकाले जाते थे | स्वतंत्रता
आन्दोलन के समय रणभेरी नामक गुप्त पत्र का प्रकाशन शहर कोतवाली के एक सिपाही के कमरे से
साइक्लोस्टाईल मशीन लगा कर किया जा रहा था और रात के अँधेरे में ही ४ बजे भोर में
उसे घरों के दरवाजे के नीचे से चुपके-चुपके सरका दिया जाता था ,जब कि शहर की पूरी
सी.आई.डी. और पुलिस उसे शहरभर ढूढती रहती थी| इन पत्रों के माध्यम से सरकारी दमन
का विरोध खुल कर किया जाता था |इन पत्रों से सम्बंधित मुख्य रूप से आचार्य नरेंद्र
देव व् विष्णु राव पराड़कर की गिरफ्तारी की गिरफ्तारी कभी नहीं हो पायी | भूमिगत
प्रेस ने देश की स्वतंत्रता आन्दोलन की ज्वाला प्रज्वलित करनें में महत्वपूर्ण
भूमिका निभाई |
इलाहाबाद में जन्मे परन्तु
कानपुर को कर्मस्थली बना कर प्रसिद्ध क्रन्तिकारी श्री गणेश शंकर विद्यार्थी ने
‘प्रताप’ साप्ताहिक निकाला जो बाद में दैनिक हो गया |विद्यार्थी जी ने इस पत्र के
माध्यम से न केवल क्रांतिकारियों की मदद की वरन पत्रकारिता के उच्य मानदंडों व्
आदर्शों को भी स्थापित किया |शहीद भगत सिंह ने भी इस अखबार में गुप्त रह कर 6
महीने तक उप सम्पादक का कार्य किया | बनारस से सन 1932 में ही प्रमुख साहित्यिक पत्र
‘जागरण’ निकला जिसके संस्थापक थे प.विनोद शंकर व्यास और सम्पादक थे आचार्य शिव
पूजन सहाय| यह पाक्षिक पत्र जय शंकर प्रसाद के मार्गदर्शन में अपने साहित्यिक स्वरूप में प्रसिद्ध हुआ | गोरखपुर
से 1919 में प.दशरथ द्विवेदी नें ‘स्वदेश’ नामक साप्ताहिक पत्र निकाला जिसके
देशभक्ति पूर्ण लेखों के कारण संस्थापक संपादक द्विवेदी जी व् लेख लिखने के कारण
‘उग्र’ जी को जेल जाना पड़ा | पूर्वांचल का यह प्रसिद्ध पत्र विदेशों में भी मंगा
कर पढ़ा जाता था|
प्रदेश की प्रमुख साहित्यिक
साप्ताहिक एवं मासिक पत्रिकाओं में हंस ,सरस्वती, माधुरी,अभुदय,सनातन
धर्म,संसार,संगम,देशदूत,समाज,मर्यादा,स्वार्थ,चाँद एवं सुधा आदि मील का पत्थर
सिद्ध हुईं |श्री शिव मंगल गांधी ने राष्ट्रिय विचारधारा से ओतप्रोत
‘जीवन’साप्ताहिक निकाला |शिवकुमार शास्त्री ने 1915 में ज्ञान शक्ति व् गया प्रसाद
शुक्ल सनेही नें ‘कवी’नामक पात्र निकाला |बागी बलिया से बलिया गज़ट,बिहान,संसार
नामक पत्र प्रकाशित हुए | मिर्ज़ापुर के बदरी नारायण चौधरी ‘प्रेमधन’ द्वारा
सम्पादित ‘आनंद कादिम्बनी’ व् खिचड़ी समाचार भी अपनी निर्भीक पत्रकारिता के लिए याद
किया जाता है | स्वतंत्रता पूर्व इन पत्रों का मूल स्वर
राष्ट्रीयता,राष्ट्रहित,स्वतंत्रता और जनजागरण था जो स्वतंत्रता बाद क्षेत्रीय
समस्याओं पर केन्द्रित हो गया |
इलाहाबाद से ‘भारत’ और ‘अमृत
पत्रिका’ नामक दो समाचारपत्र निकले थे ,इसके अतिरिक्त यहाँ से ‘सुकवि’ ‘सुमित्रा’
मासिक व् ‘रामराज्य’ साप्ताहिक तथा वर्तमान और ‘विश्वामित्र’ दैनिक पत्र भी
प्रकाशित हुए |
लखनऊ से विप्लव ,वासंती
,रसवंती ,बालविनोद,युग चेतना ,पांचजन्य,राष्ट्रधर्म और तरुण भारत का प्रकाशन
महत्वपूर्ण है |1947 के बाद यहाँ से नवजीवन,स्वतंत्र भारत, The pioneer,National
Herald,The Times Of India,The Hindustan Times, The Indian Express,The Economic
Times, नव भारत टाइम्स
,राष्ट्रीय सहारा,हिन्दुस्तान, आज ,राष्ट्रीय स्वरुप,स्वतंत्र चेतना ,कौमी
आवाज,कुबेर टाइम्स,अमर उजाला ,अमृत प्रभात,डी. एन. ए.,जन संदेश टाइम्स,उर्दू दैनिक
आग ,मरकज़ जदीद,आई नेक्स्ट,उर्दू रोजनामा,न्यू हेरम्ब टाइम्स,और अवधनामा जैसे
महत्वपूर्ण अखबारों का प्रकाशन हो रहा है |राजधानी होने के कारण लगभग सभी
टी.वी.चैनल और समाचार एजेंसियां यहाँ कार्यरत हैं| राज्य सूचना विभाग द्वारा
‘उत्तर प्रदेश सन्देश’नामक सुन्दर पत्रिका का प्रकाशन होता है | प्रदेश के प्रमुख शहरों
जैसे कानपुर ,गोरखपुर,फैजाबाद,वाराणसी,आगरा,मेरठ,और सहारनपुर से कई
महत्वपूर्ण समाचारपत्रों का प्रकाशन हो
रहा है| फैजाबाद से जनमोर्चा,मेरठ से रामराज्य,और बटुक,आगरा से उजाला व् सैनिक के
प्रकाशन का उल्लेख करना आवश्यक है| गोरखपुर से ‘कल्याण’ और मथुरा से ‘युग निर्माण’
नामक धार्मिक पत्रिकाएं और लखनऊ सहित सभी महत्वपूर्ण सहरों से बड़ी संख्या में
अच्छी पत्रिकाएं प्रकाशित हो रही है |
उत्तर प्रदेश के प्रमुख व्
विशिष्ट पत्रकारों में प.युगुल किशोर शुकुल,भारतेंदु हरिश्चंद्र ,प.मदन मोहन
मालवीय,महावीर प्रसाद द्विवेदी ,गणेश शंकर विद्यार्थी, बाबू राव विष्णु
पराड़कर,श्री प्रकाश, प.कमलापति त्रिपाठी, डा.सम्पूर्णानन्द,मुकुट बिहारी
वर्मा,सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन ‘अज्ञेय’,रघुवीर सहाय, शीला झुनझुनवाला
,अक्षय कुमार जैन,अशोक जी ,लक्ष्मी शंकर व्यास,अच्युदानंद मिश्र, नरेन्द्र मोहन
,डा.विद्या निवास मिश्र ,भगवान् दास अरोड़ा,जय प्रकाश भारती, अतुल माहेश्वरी,अशोक
अग्रवाल , के.विक्रम राव ,शार्दुल विक्रम गुप्त,भानु प्रताप शुक्ल,वचनेश
त्रिपाठी,वीरेश्वर द्विवेदी,राजनाथ सिंह सूर्य,नन्द किशोर श्रीवास्तव,आनंद मिश्र
अभय,ओम,बलदेव भाई शर्मा,नरेंद्र भदौरिया, प्रकाश पांडेय आदि के नाम प्रमुख हैं|
उत्तर प्रदेश 2,38,566 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैला 21 करोड़ से भी
अधिक जनसँख्या वाला प्रदेश है | पत्रकारिता का मुख्य उद्देश्य दैनिक जीवन की मुख्य
गतिविधियों ,राजनैतिक घटनाओं,सामजिक जीवन के विविध पक्षों को प्रस्तुत करना है साथ
ही वह साहित्यिक भाषा और उनकी विधाओं का भी विकास करती है| स्वत्रंयोत्तर भारत में
उत्तर प्रदेश की पत्रकारिता का आयाम और उद्देश्य तेजी से बदला है | तकनिकी का तेजी
से विकास हुआ है साथ ही बाज़ारवाद के
प्रभाव ने पत्रकारिता का स्वरुप बदला है | इन सब के वावजूद प्रदेश की
पत्रकारिता ने बहुत तेजी से विकास किया है और अपने नए आयाम तलाशे हैं |
*लेखक उत्तर प्रदेश के वरिष्ट
प्रशासनिक अधिकारी पद से सेवानिवृत्त हैं,सम्प्रति लखनऊ जनसंचार एवं पत्रकारिता
संस्थान के निदेशक|