Tuesday 22 August 2023

 

                                                        एक जिला  एक उत्पाद से अन्त्योदय 

                                                                                                                   - अशोक सिन्हा 

समाज के आर्थिक, सामाजिक, एवं राजनैतिक रूप से पिछड़े, गरीब, कमजोर वर्ग का उत्थान हो सके, इस निमित्त सबसे आखिरी व्यक्ति के उत्थान का प्रयास ही अन्त्योदय है। स्व. दीनदयाल उपाध्याय के एकात्म मानववाद के मूल में अन्त्योदय है। सामाजिक एवं आर्थिक विकास के द्वारा कौशल सामाजिक एवं आर्थिक विकास के द्वारा कौशल विकास और अन्य उपायों के माध्यम से आजीविका के अवसरों में वृद्धि करते हुए व्यक्ति का सामाजिक स्तर से ऊपर उठाना इस उद्देश्य की पूर्ति करता है। सबसे गरीब व्यक्ति को सहायता कैसे पहुंचे इसके लिये अनेक सामाजिक एवं राजनैतिक संगठन सक्रिय प्रयास करते रहते हैं। सरकार एवं शासन व्यवस्था भी अपनी ओर से अनेकों योजनाएं चलाते रहते हैं। उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने इस दिशा में गम्भीरता से प्रयास हुए हैं। यह कहना नितान्त उचित होगा। भारत की समृद्धि में लघु एवं कुटीर उद्योगों का सर्वाधिक योगदान रहा है। जब प्रत्येक गांव आत्मनिर्भर था और प्रत्येक गांववासी हुनरमंद होता था तब भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था। भारत का वैभव विश्व में विख्यात था। सम्पूर्ण विश्व से भारत में व्यापारी आकर व्यापार करते थे। ढाका मलमल, केरल के मसाले, कन्नौज का इत्र और एक से बढ़कर कृषि उत्पाद भारत की पहचान होते थे। पूरा विश्व इन वस्तुओं से सम्मोहित था। उस समय अन्त्योदय की आवश्यकता नहीं थी। कालान्तर में जब भारत में आक्रान्ता आये, देश गुलाम हुआ तब लूट और बेकारी बढ़ी। औद्योगिकीकरण ने भारतीय अर्थव्यवस्था का स्वरूप ही बदल दिया। गांव में हस्तशिल्प का ह्रास हुआ और  परम्परागत उद्योग-धन्धे चौपट हो गये। यह स्थिति गरीबी बढ़ाने वाली हुई। कालांतर में समाज में विभाजन हुआ | श्रम का महत्त्व कम होने लगा और बाबूगिरी, अफसरशाही सम्मानसूचक माने जाने लगे  |कामगार, कृषक, मजदूर वर्ग द्वितीय श्रेणी का नागरिक माना जाने लगा। बेरोजगारी बढ़ी और देश में गरीबी बढ़ी। गरीब देश विश्वगुरु नहीं बन सकता। भारत घर छोड़कर अन्यत्र भटकना नहीं पड़ता है को यदि विश्व का सिरमौर बनना है तो उसे समाज के अन्तिम पायदान पर बैठे हर नौजवान को काम देने का अवसर प्रदान करना होगा तथा हर हुनर को हाट प्रदान करना होगा। इस प्रयास से केवल और केवल सरकारी नौकरी या नौकरी करने की तीव्र दबावयुक्त भावना पर रोक लगेगी और अनावश्यक बेरोजगारी पर अंकुश लगेगा। हाथ को जब काम मिलेगा तब हुनर विकसित होगा और देश की वास्तविक प्रगति होगी। उत्पादन और बाजार के मध्य समन्वय भी बनेगा तथा निर्यात  भी बढ़ेगा । 

उत्तर प्रदेश सरकार ने इस उद्देश्य की प्राप्ति हेतु एक जिला एक उत्पाद योजना को जनवरी २०१८ से लागू किया है, जिसकी भारत ही नहीं विश्व में चर्चा हो चुकी है। राज्य में इससे लाखों युवकों को काम मिला है। तथा राज्य सरकार की ओर से 5 वर्षों में हुनरमंद व्यक्तियों को 26000 रुपये की सहायता भी दी जा रही है । हुनर हाट लगाकर बाजार के अवसर भी प्रदान किए जा रहे हैं। इस योजना का मुख्य उद्देश्य प्रदेश के प्रत्येक जनपद के हस्तकला, हस्तशिल्प एवं विशिष्ठ हुनर को सुरक्षित एवं विकसित करना है। इससे सम्बंधित जनपद में रोजगार सृजन और आर्थिक संमृद्धि का लक्ष्य पूरा हो रहा है | जनपद में  विशिष्ठ उत्पाद के लिए कच्चामाल, डिजाइन, प्रशिक्षण, तकनीकी और बाजार भी उपलब्ध कराया जा रहा है। इससे अत्यन्त छोटे स्तर पर अच्छा लाभ मिलने के साथ परिवार व घर छोड़कर अन्यत्र  भटकना नही पड़ता है | छोटे -छोटे गाँव  भी भारत में अपनी पहचान बना रहे है  | नई तकनिकी से श्रेष्ठ उत्पादन होने लगे हैं और सहज अनुदान, विपणन की सुविधा तथा प्रशिक्षण का कार्य किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश की सफलता को देखरकर देश के 17 राज्यों में 54 इनक्यूकेशन केन्द्र खोले गये हैं। 35 राज्यों एवं केन्द्रशासित प्रदेशों के 707 जिलों को केन्द्रीय खाद्य एवं प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय द्वारा एक जिला एक उत्पाद के लिए अनुमोदित कर दिया गया है। 17 राज्यों में कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, केरल, सिक्किम, आन्ध प्रदेश, उड़ीसा एवं उत्तराखण्ड शामिल है। इन सभी राज्यों में 470 जिला स्तरीय प्रशिक्षण केन्द्र बने हैं।



उपरोक्त उत्पादों को अन्तर्राष्ट्रीय मान्यता प्रदान की गई है। यह उत्पाद एक ब्राण्ड बने हैं और यह ब्राण्ड यू.पी की पहचान होगी। इस योजना के अन्तर्गत लघु, मध्यम और नियमित उद्योगों को मदद प्रदान की जा रही है। अनुदान व्यवस्था सामान्य सुविधा केन्द्र, विपणन सुविधा, आधुनिक तकनीकी प्रशिक्षण की सुविधा राज्य सरकार उपलब्ध करा रही है। लक्ष्य 25 करोड़ बेरोजगार युवाओं को रोजगार व नौकरी देने का लक्ष्य है और राज्य का सकल घरेलू उत्पादन में उल्लेखनीय उपलब्धि मिल रही है। पारम्परिक उद्योगों की तेजी से स्थापना हो रही है और छोटे-छोटे गांवों का नाम विदेशों में भी पहुंच रहा है। उत्तर प्रदेश की संस्कृति का भी प्रसार हो रहा है। जी-20 के राष्ट्राध्यक्षों को ओ. डी. ओ. पी. देकर प्रधानमंत्री ने भी उत्तर प्रदेश का मान बढ़ाया।


विदेशी मेहमानों को वाराणसी की गुलाकी मीनाकारी कपलिंग्स, गणेश प्रतिमा, बांदा का शजर स्टोन कपलिंग्स, कन्नौज का इत्र, लखनऊ का चिनककारी वस्त्र, मुरादाबादी पीतल बाउल सेट, खुर्जा के कप प्लेट्स, सीतापुर के आसन, बरेली के जरी जरदोजी से बने उपहार, दिये गये जो बहुत पसंद किए गए। अब उ.प्र. के उपहार देश-दुनिया के बड़े निवेशकों के ऑफिस व घरों की शोभा बढ़ा रहे हैं। सरकार के रोड शो इवेंट में अपनी मिट्टी- संस्कृति की सुगंध तभी महका रही है। योगी सरकार लखनऊ के ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में इस प्रयास की विश्वव्यापी चर्चा की गई तथा प्रत्यक्ष स्टाल लगे जहाँ दर्शकों की भारी भीड़ जमा थी | संयुक्त राष्ट्र संघ की एक रिपोर्ट में यह उल्लेख हुआ है कि भारत में 13.5 करोड़ जनसंख्या को गरीबी रेखा से ऊपर लाकर विश्व से गरीबी दूर करने का विशेष कार्य किया गया है जो पूरे यूरोप की जनसंख्या से भी अधिक है। यही है अन्त्योदय अब धरातल पर काम दिखने लगा है। यदि देश प्रथम, राष्ट्र प्रथम, संस्कृति प्रथम, व्यक्ति की गरिमा और श्रम का सम्मान प्रथम इस भावना से देश के राजनेता, श्रमिक, नागरिकगण कार्य करेंगे तो अन्त्योदय का सूरज अवश्य चमकेगा। भारत की गरिमा बढ़ेगी और राष्ट्र की विश्व को दिशा देने की क्षमता बढ़ेगी। भारती अति प्राचीनकाल से अपनी श्रमशक्ति, मानव कल्याण और विश्व को एक कुटुम्ब मान कर सर्वहितकारी भावना से कार्य करने के लिए प्रसिद्ध रहा है। पुनः सांस्कृतिक आजादी और पुनर्जागरण का काल आया है। पं. दीनदयाल उपाध्याय के स्वप्न को साकार और सार्थक बनाने का यह अवसर अवश्य देश का मान-सम्मान बढ़ाने वाल सिद्ध होगा।