भारतीय जनता पार्टी का भारत में
विस्तार
*अशोक कुमार सिन्हा
भारत को समृद्धि, एकता, शक्तिशाली, स्वावलम्बी और आदर
सहित सम्मान दिला कर सम्पूर्ण विश्व में सर्वोच्च स्थान दिलाने का संकल्प ले कर एक
राष्ट्रवादी राजनैतिक संगठन के रूप में इस दल का गठन किया गया था। नये नाम के साथ
इसकी स्थापना 8 अप्रैल 1980 को नई दिल्ली के कोटला मैदान में एक विशाल कार्यकर्ता सम्मेलन बुला
कर किया गया था, जिसके प्रथम अध्यक्ष अटल बिहारी वाजपेयी निर्वाचित हुये थे।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) दल का भारत के राजनैतिक क्षितिज पर यह पुनर्जन्म था।
इसका इतिहास भारतीय जनसंघ (चुनाव चिन्ह-दीपक) से जुड़ा हुआ है। 1947 में भारतीय
स्वतन्त्रता के बाद कई ऐतिहासिक घटनायें घटित हुई। महात्मा मोहनदास करमचन्द गान्धी
की हत्या के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर प्रतिबन्ध लगा। सरदार वल्लभ भाई पटेल
ने कालान्तर में कोई साक्ष्य न मिलने पर प्रतिबन्ध को निराधार पाकर प्रतिबन्ध हटा लिया
था। सरदार पटेल की मृत्यु के बाद कांग्रेस और जवाहर लाल नेहरू का भारत पर
अधिनायकत्व स्थापित होने लगा था। भारतीय जनमानस को लगने लगा था कि पण्डित नेहरू
अल्पसंख्यक तुष्टिकरण, छद्म समाजवाद,
परमिट कोटा राज, राष्ट्रीय सुरक्षा
के प्रति लापरवाही, जम्मू एवं कश्मीर विषय पर शेख अब्दुल्ला के साथ खड़े होने की
प्रवृत्ति तथा विस्थापितों के प्रति अनदेखी आदि के कारणों से समाज में व्याकुलता
बढ़ाने वाले सिद्ध हो रहे हैं। बांग्लादेश और पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर भयंकर
अत्याचार होने लगे । भारतीय जनमानस ने बंटवारे के समय के भीषण विभीषिका को झेला
था। राष्ट्रभक्त जनता के मन में कई प्रश्न उठ रहे थे । पूर्व में भी भारतीय जनता खिलाफत आन्दोलन, मोपला काण्ड, जिन्ना और
मुस्लिमों को विशेष महत्व देते कांग्रेस को देख चुकी थी। भारत के बहुसंख्यक समाज
को लगा कि हमारा हित वर्तमान परिस्थितियों में कहां सुरक्षित है? बंगाल के भद्र राजनीतिज्ञ
श्यामा प्रसाद मुखर्जी 1923 से 1946 तक हिन्दू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुके थे। संविधान
निर्माण के समय से ही कश्मीर सम्बन्धी अनुच्छेद 370 के वे घोर विरोधी थे। उनका दृष्टिकोण
राष्ट्रीय हित और भारत की आवश्यकता में था। उनका नारा था- एक देश- दो विधान- दो
प्रधान नहीं चलेंगे। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तत्कालीन सरसंघचालक
माधवराव सदाशिव गोलवलकर से भी मिलकर विचार विमर्श किया और सहयोग मांगा। उस समय डॉ.
श्यामाप्रसाद मुखर्जी कांग्रेस में ही थे परन्तु वे डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, सरदार पटेल, पं. मदनमोहन मालवीय, डॉ. सुभाषचन्द्र
बोस जैसे राष्ट्रवादी विचारों से ओत प्रोत थे। उन्होंने कांग्रेस से त्यागपत्र
देकर 1951 में भारतीय जनसंघ नामक नये राजनैतिक दल का गठन किया जिसके वे प्रथम
अध्यक्ष बने। बाद में इस दल के अध्यक्ष क्रमश: चन्द्रमोली शर्मा, प्रेमचन्द डोगरा, आचार्य डीपी घोष, पीताम्बर दास, ए. रामाराव, डॉ. रघुबीर, बच्छराव व्यास रहे।
1966 में बलराज मधोक और 1947 में दीनदयाल उपाध्याय अध्यक्ष बने।
उसके बाद चार वर्षों तक अटल बिहारी वाजपेयी तथा 1977 तक लालकृष्ण आडवाणी अध्यक्ष रहे।
भारतीय जनसंघ ने प्रारम्भ से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से मित्र भाव रखा तथा
संगठन मंत्री के रूप में अधिकाशंत: संघ के प्रशिक्षित, निष्ठावान एवं
कर्मठ प्रचारक ही जाते रहे।
भारतीय जनसंघ ने 1953 में जम्मू-कश्मीर
पर आन्दोलन चलाया था। पं. दीन दयाल उपाध्याय मुखर्जी के संगठन मंत्री थे वे पर्दे
के पीछे से सम्पूर्ण कमान सम्भाले थे। पं. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की योजनाबद्ध
हत्या कश्मीर के जेल में हुई थी। 1952 में हुये राष्ट्रीय चुनाव में भारतीय
जनसंघ को मात्र 3 सीटें मिली थी। 1977
में इन्द्रागाँन्धी द्वारा देश पर
थोपे गये आपातकाल के समाप्ति के पश्चात भारतीय जनसंघ अन्य दलों के साथ जनता पार्टी
में विलय हो गया फलत: कांग्रेस चुनाव हार गई। तीन वर्षों तक सरकार चलाने के बाद 1980 में जनता पार्टी
विघटित हो गई। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की दोहरी सदस्यता को आधार बना कर मोरारजी
देसाई की सरकार गिरा दी गई थी और भारतीय जनसंघ के पदचिन्हों को पुनर्संयोजित करते
हुये महाराष्ट्र के मुम्बई शहर में समुद्र के किनारे छ: अप्रैल 1980 को लाखों जनता के
समक्ष नई राजनैतिक पार्टी भारतीय जनता पार्टी के नाम से बनी। इस दल की मुख्य
विचारधारा हिन्दू राष्ट्र, प्रखर राष्ट्रवाद,
आर्थिक उदारीकरण, अखण्ड मानवतावाद
रखा गया। प्रथम अध्यक्ष 1980 में अटल बिहारी वाजपेयी बने जो 1980 से 1986 तक पदासीन रहे। बाद के दिनों में
क्रमशः: लालकृष्ण आडवाणी, डॉ. मुरली मनोहर जोशी, लालकृष्ण आडवाणी, कुशामऊ ठाकरे, बंगारू लक्ष्मण, जन कृष्णमूर्ति, वेंकैया नायडू, लालकृष्ण आडवाणी
राजनाथ सिंह, नितिन गडकरी,
राजनाथ सिंह, अमित शाह और
वर्तमान जगत प्रकाश नड्डा इस महान दल के अध्यक्ष बने। बीजेपी ने राष्ट्रवाद के साथ
गाँधीवादी समाजवाद को भी अपनाया। 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद प्रधानमंत्री
इन्द्रागाँधी की हत्या हो गई।
तत्पश्चात राजीव गाँधी को सहानुभूति
लहर में कांग्रेस के रूप में 404
लोकसभा सीटों पर विजय मिली और भारतीय
जनता पार्टी को मात्र 2 सीटों पर ही विजय हासिल हुई जिसमें पहली सीट मेहसाणा (गुजरात) के
एके पटेल और दूसरी सीट आन्ध्रप्रदेश की स्वामकोडा सीट से चन्दू भाई पाटिया जगन
रेड्डी को प्राप्त हुई। तब से भारतीय जनता पार्टी निरन्तर विस्तार करती हुई 2014 और फिर 2019 के चुनाव में 303 और पूरे गठबन्धन को
353 सीटें प्राप्त हुई हे। इस प्रकार कांग्रेस के बाद बीजेपी पहली ऐसी
पार्टी है जो पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आई है। 2014 में 543 लोकसभा सीटों में 282 सीटें बीजेपी को
मिली थी जो 2019 में बढ़ कर 303
हुई हैं।
बीजेपी को 2014 में वोट प्रतिशत 31' था जो बढ़ कर 2019 में 37.36' हो गई। एनडीए के
साथ इसका संयुक्त वोट प्रतिशत 45'
तथा वोटर संख्या 60.37 करोड़ तक पहुंच गई
है। 2019 में बीजेपी 437
स्थानों पर चुनाव लड़ी थी। 10 राज्यों एवं
केन्द्र शासित प्रदेशों में बीजेपी अकेले दम पर सभी सीटें जीती। कुल 12 राज्यों में 50' से अधिक मत प्राप्त
हुये। इस चुनाव में जातीय वंशवाद एवं परिवारवाद के नारा के संकेत मिले। आज बीजेपी
भारतीय संसद और राज्य विधानसभाओं में प्रतिनिधित्व के मामलों में यह भारत की सबसे
बड़ी राजनैतिक पार्टी है और प्राथमिक सदस्यता के मामले में यह पूरे विश्व का सबसे
बड़ा राजनैतिक दल है।
बीजेपी अब 42 वर्ष से भी अधिक
पुरानी पार्टी के रूप में अपने संगठन, इतिहास, विचारों, राजनीति और नेताओं
व सदस्यों के कारण एक महान राजनैतिक दल के रूप में विश्वविख्यात हो चुकी है। इसके
सम वैचारिक संगठनों में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और भारतीय जनता युवा मोर्चा
से नये युवाओं का सदैव सहयोग सदस्यता तथा नया उत्साह प्राप्त होता रहता है। इस दल
की उपलब्धियाँ अनेकों है जो भारत के गौरव को बढ़ाने वाली है। आज इस दल की
लोकप्रियता भारत में चरम पर है। इस दल का जनसमर्थन लगातार बढ़ रहा है। भाजपा ने 1989 में 85, 1991 में 120 तथा 1996 में 161 सीटें मिली जो इस बात का प्रमाण है कि लगातार यह दल तीव्र गति से
लोकप्रिय होता गया। 1998 में इस दल ने 182
लोकसभा सीटों पर विजय प्राप्त की जब
अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में जनतांत्रिक गठबन्धन की सरकार बनी थी। 1996 में पर्याप्त
समर्थन न मिलने के कारण सरकार 13
दिन के बाद ही गिर गई थी यद्यपि अटल
बिहारी वाजपेयी के उस समय के अन्तिम भाषण की याद आज पूरे राष्ट्र को है। बीजेपी की
विशेषता यह है कि यह सुदृढ़,
सशक्त, समृद्ध, समर्थ एवं स्वावलम्बी भारत के निर्माण
हेतु सक्रिय रहती है। इसके पास कर्मठ, ईमानदार तथा चरित्रवान कार्यकत्र्ताओं
व नेताओं की भरमार है। पार्टी की कल्पना एक ऐसे राष्ट्र की है जो आधुनिक दृष्टिकोण
से युक्त एक प्रगतिशील एवं प्रबुद्ध समाज का प्रतिनिधित्व करता है तथा प्राचीन
भारतीय सभ्यता एवं सांस्कृतिक मूल्यों से प्रेरणा लेते हुये महान विश्व शक्ति एवं
विश्व गुरु के रूप में विश्व पटल पर स्थापित हो। इसके साथ ही विश्व शान्ति तथा
न्याययुक्त अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को स्थापित करने के लिये विश्व के राष्ट्रों
को प्रभावित करने की क्षमता रखे। भारतीय संविधान में निहित मूल्यों और सिद्धान्तों
के प्रति निष्ठा पूर्वक कार्य करते हुए लौकतान्त्रिक व्यवस्था पर आधारित राज्य को
यह दल अपना आधार मानती है।
पोखरण परमाणु विस्फोट, राममन्दिर निर्माण
में व्यापक सहयोग तथा आन्दोलनों में सक्रिय भागीदारी सहित भूमिपूजन, अनुच्छेद-370 की समाप्ति तथा
सफलतापूर्वक कश्मीर को उग्रवादियों से मुक्त कराने के प्रयास, उरी सर्जिकल
स्ट्राइक, सेना को विस्तारित कर उसे स्वावलम्बी बनाने का सफल प्रयास, कोरोना काल में देश
को बचाने हेतु टीकाकरण का विश्व कीर्तिमान, समाज व्यवस्था के साथ बड़ी संख्या में
गरीबों को मुफ्त राशन, विश्व स्तरीय सड़कों का संजाल, सीएए विधान को पास कराकर उससे उपजे
आन्दोलनों पर काबू पाना, तलाक व्यवस्था की समाप्ति आदि ऐसे कार्य हैं जो भारतीय जनमानस पर
अपनी अमिट छाप छोड़ चुके हैं। इसके अतिरिक्त भी भारतीय जनमानस को ऐसे सभी कई कार्य
योजनाएं, दंगा रहित प्रदेश,
अपराधियों पर अंकुश, स्वास्थ्य योजना
आदि कार्य हैं जो जनमानस में दल के लिए विश्वास उत्पन्न करते हैं।
आज कुठ बातें यदि इस दल के समर्थन में
साथ में हैं तो कुछ बाधाएं ऐसी हैं कि पार्टी के विस्तार में बाधा भी मानी जाती
हैं। जैसे पार्टी मुख्य रूप से हिन्दी प्रदेशों यानी उत्तर भारत में अधिक लोकप्रिय
है परन्तु केरल, तमिलनाडु, पं0 बंगाल, पंजाब, काश्मीर, उड़ीसा, झारखंड, छत्तीसगढ़ जैसे स्थानों पर यह अपना प्रभाव नहीं बढ़ा पा रही है।
यद्यपि इन स्थानों पर विचारधारा और सिद्धान्त भी भाजपा के लिए अनुकूल नही है। कही
परिवारवाद, वंशवाद प्रभुत्व में है तो कहीं जनसंख्या अनुपात उचित नहीं है।
कहीं-कहीं वामपंथ बाधक है तो कहीं क्षेत्रवाद और भाषा बाधक बन रही है। क्षेत्रीय
दल अपने निहित स्वार्थों के कारण पहले से प्रदेशों में सत्तारूढ़ है।बिहार के
मुख्यमंत्री नितीश कुमार ऐसे ही प्रदेशों में राजनैतिक संपर्क कर के विपक्षी एकता
कस्वर साध रहें है. ऐसी परिस्थिति में भाजपा अपने विस्तार को नया पंख दे कर
विस्तार की नई योजना बना रही हैं। वर्तमान में ऐसे प्रदेश जहां ठीक से भाजपा अपना
संगठन नहीं खड़ा कर सकी थी, वहां युद्ध स्तर पर संगठन खड़ा कर रही है। संसदीय दल में बड़ा
परिवर्तन कर सभी को प्रतिनिधित्व दिया गया है। मंत्रिमण्डल विस्तार में भी सभी को
साथ लिया गया है।जे पि नद्दा का कार्यकाल एक वर्ष बढ़ा कर उन्हें दक्षिण भारत में
बीजेपी की पैठ बढाने को कहा गया है .अमित शाह स्वयं बिहार के सीमान्त क्षेत्र
पूर्णिया का दौरा कर के मुस्लिम बहुल क्षेत्रों को यह सन्देश देने का प्रयास कर
रहें है की बीजेपी को सबका साथ और सबका विश्वास चाहिए . मोदी की लोकप्रियता इस समय
सर्वोच्य शिखर पर है . वे विश्वव्यापी राजनैतिक व्यक्तित्व के शिखर पर अपने को
स्थापित कर चुके हैं.देश की जनता इस उपलब्धि पर गर्व का अनुभव कर रही है.ममता
बनर्जी की पार्टी भ्रष्टाचार के चक्रव्यूह में फसी दिखाई पड रही हैं. तेजस्वी जेल जाने के मुहाने पर बैठे हुए हैं. पंजाब और
राजस्थान में आप और कांग्रेस सर्कार अपने ही चक्रव्यूह में फसी दिखाई पद रही है
.सम्पूर्ण घटनाक्रम को जनता बैचैनी के साथ मूल्यांकन कर रही है.विपक्षी एकता बनाने
में कई बाधाएं आ रही है .पी .ऍफ़ आई . पर प्रतिबन्ध लगने के उपरांत मुस्लिम
तुष्टीकरण के बयान दे कर अपने पैर में कुल्हाड़ी मार रहें हैं.पुर्वोत्तर के
राज्यों में बीजेपी अपनी पैठ बना चुकी है . केरल और तमिलनाडु बीजेपी के लिए अभी भी
कठिन लग रही है .आन्ध्र और तेलंगाना में स्थिति पहले की अपेक्षा अच्छी हुई है.यदि
कार्यकर्ताओं का मनोबल बढाया गया तो परिणाम आचे मिल सकतें है.
आशा है कि आगामी दिनों में पार्टी
संघटन को नया आयाम दे कर 2024 का चुनाव् परिणाम पूर्ण बहुमत से प्राप्त करेगी।
*-लेखक वरिष्ठ लेखक व विश्व संवाद केंद्र, लखनऊ, के सचिव हैं |