Tuesday 28 March 2017

व्यवस्था परिवर्तन की चुनौतियां

·        अशोक कुमार सिन्हा

प्रदेश में नई सरकार के गठन के बाद जनता की उम्मीदों को मानों पर लग गए हों. समाज के सभी वर्ग में अपनी अस्मिता का भाव जगा है. सरकार ने भी पहले दिन से ही सपष्ट कर दिया है कि दल के लोक संकल्प पत्र के प्रत्येक वादे को पूरा किया जाएगा. नेतृत्व भी सशक्त भाव से दृढ इच्छाशक्ति के साथ कार्य करने को उद्यत है, पर सबकुछ इतना आसान नहीं है. यह बात सच है कि आज़ादी के बाद अपेक्षाकृत उत्तर प्रदेश विकास के क्षेत्र में पिछड़ा है. अराजकता, भाई-भतीजावाद, जातिवाद, साम्प्रदायिकता, नियुक्तियों में बाधा आदि सामाजिक बुराइयों से अत्यधिक प्रभावित रहा. फलस्वरूप यह प्रदेश विकास के पायदान पर उड़ीसा और बिहार के समक्ष खड़ा है. देखना यह होगा कि योगी सरकार इन चुनौतियों का सामना कैसे करती है.सर्वप्रथम समस्या यह खड़ी होगी कि संपूर्ण सरकारी संस्थाओं में जनतांत्रिक मूल्यों को स्थापित कर उन्हें जातिवाद, भ्रष्टाचार और भेदभाव के शिकंजे से मुक्त कराया जाय. प्रदेश का लोक सेवा आयोग, अधीनस्थ कर्मचारी चयन आयोग, कर्मचारी चयन आयोग, पुलिस भर्ती बोर्ड जैसी महत्वपूर्ण संस्थाओं को उनका खोया विश्वास वापस दिलाते हुए उनकी कार्यप्रणाली और व्यवस्था को सुधारना होगा.अगली समस्या होगी प्रशासनतंत्र और उससे उपजी व्यवस्था से भ्रष्टाचार, कामचोरी और निकम्मेपन को दूर कर जनाकांक्षा के अनुरूप कार्यशैली विकसित करना. इसके लिए आवश्यक मुहिम है कि प्रशासनिक अमले में बड़े पैमाने पर फ़ेरबदल किए जाएं. सरकार की इच्छाशक्ति व निष्पक्ष निर्णय लेने की प्रक्रिया से यह काम आसन होगा. पूरा काम-पूरा दाम और लापरवाही पर कड़े दंड की निति कारगर होगी. इसके लिए वर्तमान नियम और क़ानून ही सक्षम हैं. केवल नियमों का निष्पक्ष अनुपालन, पर्यवेक्षण तथा कड़े फैसले लेना पर्याप्त होगा.अगली समस्या क़ानून-व्यवस्था ठीक कर विधि का अनुपालन करवाकर अपराध दर में कमी लाने की होगी. पुलिस प्रशासन में निश्चय ही बड़े फेरबदल करने होंगे. अपराधी भयभीत रहें इसके लिए अपराधी-पुलिस गठजोड़ को तोड़ना होगा. अवैध बूचड़खानों और स्कूल-कॉलेजों के बाहर कार्यवाई स्वतः आरम्भ हो गई है. थानों को जनता के मित्रकेंद्र के रूप में बदलने की आवश्यकता होगी. पुलिस का मुखिया अगर तय कर लेगा तो हर अभियान सफ़ल हो जाएगा. जरूरत है कि पुलिस पर राजनीतिक न बनाकर सामाजिक दबाव बनाया जाए. उन्हें अहसास कराया जाए कि जनता ही मालिक है.
दलालों को पुलिस थानों, तहसीलों और कचेहरी परिसरों से बाहर निकालना एक बड़ी चुनौती है, पर यह नई सरकार को लागू ही करना होगा. भ्रष्टाचार पर अंकुश के लिए जनजागरण के साथ विज्ञानसम्मत व्यवस्थाओं जैसे बायोमीट्रिक अटेंडेंस, डिजिटलाइजेशन, आन लाइन सिस्टम, जनहित गारंटी, पारदर्शी निगरानी तंत्र, दस्तावेजों को आनलाइन करना और शिकायतों का ट्रेकिंग सिस्टम इस लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायक हो सकते हैं.बेरोजगारी तथा औद्योगिक पिछड़ापन दूर करना एक समय साध्य, कठोर परिश्रम और नीतिगत फैसले का काम है. प्रदेश बुरी तरह से बिजली संकट से झूझ रहा है. युवा दिशाहीन, अकुशल और डिग्रियों को लिए घूम रहा है. रोजगार और अवसर की उम्मीद उसकी धुंधलाती जा रही है. लगभग हर परिवार में आशा का केंद्र और संबल बनने लायक युवा बेरोजगार है. प्रदेश स्तर पर यह एक बड़ी चुनौती है. प्रदेश का एकमात्र जीवित चीनी उद्योग भी गलत नीतियों का शिकार है. बाक़ी उद्योगों में पहले से ही टला पड़ा हुआ है. प्रदेश लघु एवं कुटिर उद्योग धंधों का बड़ा केंद्र बन सकता है. कौशल विकास की परियोजनाओं से समन्वय और सामंजस्य मिलाकर व्यापक स्तर पर घरेलू उद्योगों को संवर्धित, संरक्षित और पुनर्जीवित करना होगा. तदनुसार शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करना होगा. चीनी उद्योग का तेजी से आधुनिकीकरण कर ‘शुगर काम्प्लेक्स’ बनाने होंगे.उद्योगों को स्थापित कराने के पहले नेतृत्व को चौबीस घंटे अबाध विद्युत आपूर्ति व्यवस्था सुनिश्चित करनी होगी. उद्योगपतियों को सिंगल विंडो सिस्टम से व्यापक उदारवादी नीतियां अपनाकर आमंत्रित करना होगा. लगातार उद्योग मेले, कानक्लेव, संगोष्ठी आयोजित कर जागरूकता पैदा करनी होगी. बुंदेलखंड, पूर्वांचल और सीमावर्ती क्षेत्रों में बड़े उद्योगों की श्रंखला लग सकती है. यहाँ प्रचुर पानी, कच्चा माल, सस्ता मानव श्रम और भूमि मौजूद है. परन्तु विकास बिना पर्यावरण को नुकसान पहिचाए करना कठिन है.प्रदेश सरकार की बड़ी जिम्मेदारी होगी कि केन्द्रीय योजनाओं को सफलतापूर्वक लागू कर केन्द्रीय सहायता का भरपूर लाभ उठाए. केन्द्रीय योजनाओं में गाँव और गरीब के कल्याण के अनेको सूत्र दी हैं, इसका लाभ उठाना होगा. किसानों की कर्जमाफी घोषणा तो एक चुनावी लाभ लेने की विधा थी परंयु वास्तविक रूप से खाद, पानी, बिजली, डीजल, उर्वरक, बीमा तथा नई तकनीक किसानों को उपलब्ध कराना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए. खाद्य प्रसंस्करण के व्यापक उपाय अपनाकर किसानों को इसकी उपज का लाभकारी मूल्य दिलाया जा सकता है.प्रभावी सरकार को मुफ़्त और अनिवार्य शिक्षा और चिकित्सा व्यवस्था की सुविधा उपलब्ध कराते रहना एक बड़ी चनौती है. गाँव और गरीब इस सुविधा से तेजी से प्रभावित होगा. पूर्वांचल का दिमागी बुखार नई सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए. प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च, प्रावधिक, व्यवसायिक, तकनीकी, प्रबंधन, चिकित्सा, विज्ञान, अभियांत्रिकी, अनुसंधान और शोध को आधुनिक बनाने का काम भी बड़ी चनौती होगी. विश्वविद्यालयों को गुटबाजी से मुक्त कर परिणामकारी बनाना भी एक दुरूह कार्य है. शिक्षा चरित्र निर्माण और कौशल विकास का केंद्र बने न कि वह धनोपार्जन का साधन, ऐसा शिक्षा नीति में व्यापक बदलाव से ही संभव है. उच्च गुणवतापरक तकनीकी शिक्षा प्रदान करने के लिए व्यापक स्तर पर संसधानों की उपलब्धता भी सरकार के लिए आसान नहीं होगा.राम मंदिर निर्माण का करने वाली संस्थाओं का विवाद दोनों पक्षों के मध्य सामंजस्य स्थापित करना. निष्पक्ष वातावरण देकर बिना भय के आपसी सहयोग का माहौल बनाकर हल निकालना होगा. बेहतर निर्णय के साथ शांतिपूर्वक तरीके से राम मंदिर का निर्माण कर सरकार अपनी बदली हुई तस्वीर पेश कर सकती है. कोई पक्ष पछतावा न करे तथा परस्पर सौहार्द का वातावरण निर्मित हो यही हिंदुत्व की भी मूल अवधारणा है. गाँव, गरीब, किसान, नौजवान, सामाजिक समरसता और सबका साथ सबका विकास की परीक्षा अब सरकार के सम्मुख है. सब ठीक होगा यही आशावादी दृष्टिकोण सबके लिए हितकर होगा.माना अगम अगाध सिन्धु है, संघर्षों का पार नहीं है. किन्तु डूबना मजधारों में साहस को स्वीकार नहीं है.

(लेखक : वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी रहे हैं. सम्प्रति-निदेशक लखनऊ जनसंचार एवं पत्रकारिता संस्थान हैं.)

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