Monday 22 February 2021

                                                                   रामराज्य का शंखनाद

    अयोध्या में श्री रामलला जन्मस्थान पर भव्य मन्दिर का निर्माण कार्य प्रारम्भ हो गया है। नींव खोदी जा रही है। फरवरी से 39 माह की अवधि में पूरा होगा निर्माण। 15 अगस्त 2020 को भूमि पूजन हुआ था। नवम्बर 2019 को सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के बाद सभी विवाद समाप्त हुये थे। मन्दिर निर्माण का कोई अनुमानित बजट नहीं है। मंदिर के पास कई अन्य भवन भी बनेंगे। भगवान राम पर शोध के लिये संस्थान, संतों के प्रवचन के लिये सभागार, रामजन्मभूमि से जुड़े इतिहास की जानकारी देने वाला संग्राहलय भी बनेगा। मन्दिर में 50 हजार से अधिक लोग एक साथ पूजा कर सकते हैं। मुख्य मन्दिर 360 फिट लम्बा 235 फिट चौड़ा और 161 फिट ऊंचा तीन मंजिला बनेगा। कुल क्षेत्रफल 84 हजार 600 वर्गफिट होगा। पहले सिंहद्वार, नृत्यमण्डल, रंग मण्डल, गूढ़ मण्डल और गर्भगृह बनेगा। पहले पिंक स्टोन के 12 फिट आधार के बाद गर्भगृह के फर्श पर भगवान रामलला विराजमान होंगे। ठीक इसके ऊपर वाले तल पर रामदरबार सजेगा, मन्दिर की ऊंचाई बढ़ाने से तीसरा तल बनेगा जो अभी खाली रहेगा।
प्रभु राम का जन्म समय 10 जनवरी 5114 ईसा पूर्व 12 बज कर 30 मिनट, चैत्र शुक्ल नवमी, वैज्ञानिक आधारों की कसौटी पर कसकर, वाल्मीकि रामायण, पुरातात्विक साक्ष्य, खगोलीय विन्यासों, अक्षांस देशान्तर व रेखांश को आधुनिकतम कम्प्यूटरों के साफ्टवेयर को प्रयोग कर निकाला गया है। तत्समय, पांच ग्रह अपने उच्च स्थान में थे अर्थात सूर्य मेष में, शुक्र मीन में, मंगल मकर में, शनि तुला में और बृहस्पति कर्क में थे। चन्द्रमा पुनर्वसु नक्षत्र में था तथा चन्द्रमा और एक साथ कर्क में चमक रहे थे। कर्क राशि पूर्व में उदय हो रही थी तथा चैत्र शुक्ल की नवमी तिथि थी। यह खगोलीय घटना वाल्मीकि रामायण में वर्णित है और जब खगोलविद तथा ज्योतिष के विद्वानों ने परखा तो सही पाया। (बालकाण्ड के सर्ग 18 (8-10)) स्टेलेरियम कम्प्यूटर साफ्टवेयर भी इन सभी 12 व्योमचित्रों को दर्शाता है। इन सभी 24 व्योमचित्र 'रामायण की कहानी, विज्ञान की जुबानीÓ पुस्तक में वर्णित है।
आज अयोध्या सम्पूर्ण विश्व के केन्द्र बिन्दु के रूप में विकसित हो रही है। मन्दिर निर्माण प्रारम्भ हो गया है। सनातन दर्शन की प्रेरणास्रोत पुण्य नगरी अयोध्या भारत को एक रखने वाली राम राज्य का शंखनाद कर रही है। अयोध्या हिन्दू, मुसलमान, सिख, बौद्ध, जैन सबके दिलों को जोडऩे का केन्द्र बिन्दु है। राममन्दिर का निर्माण भारत का निर्माण है। भारतीय जनता के हृदय में रामराज्य के प्रति गहरी आस्था है। विगत 5 अगस्त 2020 को श्रीराम मन्दिर भूमि पूजन कार्यक्रम में भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि ''राम मन्दिर के निर्माण की प्रक्रिया  राष्टï्र को जोडऩे का उपक्रम है। यह महोत्सव है विश्वास को विद्यमान से जोडऩे का, नर को नारायण से जोडऩे का, लोक को आस्था से जोडऩे का, वर्तमान को अतीत से जोडऩे का और स्व को संस्कार से जोडऩे का, वर्तमान को अतीत से जोडऩे का, और स्व को संस्कार से जोडऩे का। ये एतिहासिक पल युगों-युगों  तक, दिन-दिगन्त तक भारत की कीर्ति पताका फहराते रहेंगे। प्रभुराम हजारों वर्षों से भारत के लिये प्रकाश स्तम्भ बने हुये हैं। उन्होंने सामाजिक समरसता को अपने शासन की आधार शिला बनाया। उनका अद्भुत व्यक्तित्व, वीरता, उदारता, सत्यनिष्ठïा, निर्भीकता, धैर्य दृढ़ता, दार्शनिक दृष्टिï युगों-युगों तक प्रेरित करते रहेंगे।ÓÓ
अयोध्या पांच जैन तीर्थकरों की जन्म स्थली, बुद्ध का 16 वर्ष चतुर्मास स्थल, सिख गुरुओं की निशानी, संत कवियों की पावनस्थली रही है। अयोध्या से खुसरों का नाता रहा है। अयोध्या एकात्मबोध कराने वाली ताकत का नाम है। यह दैविक, भैतिक और आध्यात्मिक तीनों तापों से मुक्ति दिलाती है। श्रीरामलला का भव्य मन्दिर राष्टï्रीय गौरव का प्रतीक बनेगा। यह राष्टï्र का मन्दिर है। सरयू इसकी प्राण रेखा है। देवरहा बाबा ने जन्म स्थान का ताला खोले जाने की प्रेरणा दी थी। राम का होना ही हमारा होना है। प्रभु श्रीराम की राजनीति और सुशासन रामराज्य है। मन्दिर निर्माण में सबका समर्पण व सहयोग रहेगा।
राममन्दिर आधुनिक भारत का प्रतिनिधित्व करेगी, यह राष्टï्रीय गौरव की पुनस्र्थापना करेगी। श्रीराम जन्मभूमि आन्दोलन के सूत्रधार अशोक सिंहल जी ने कहा था कि ''जिस दिन श्रीराम भव्य मन्दिर में प्रस्थापित होंगे, उस दिन से भारत का उत्थान शुरू हो जायेगा।ÓÓ राष्टï्रवाद की पुन: प्रतिष्ठïापना और मिथ्था सेकुलरवाद की समाप्ति होगी। वस्तुत: प्रभु श्रीराम का पूरा जीवन चरित्र ही सनातन संस्कृति को पुनरक्षित और पल्लवित करने में बीता। उन्होंने सामाजिक असमानता को दूर करने के लिए युद्ध तक किया। वस्तुत: राममन्दिर हेतु समर्पण राशि एकत्र करने का अभियान धन संग्रह नहीं जन-संग्रह अभियान है। मन्दिर से सम्पूर्ण भारतीय समाज के जनमानस को सीधे जोड़ कर ही राष्टï्र मन्दिर का निर्माण संकल्प के साथ पूरा होगा। सभी के हृदय में यह भाव जगे कि यह मन्दिर मेरा है। रामजी के आदर्श और जीवन मूल्य मेरे है। रामराज्य की ओर हम सब मिल कर बढ़ेंगे। कितनी ही बाधाऐं आएं, अविचल रह कर मार्ग के सभी ककँड़ दूर करते हुए सम्पूर्ण हिन्दू समाज को साथ ले कर हम राष्टï्र को विश्व का सर्वश्रेष्ठï राष्टï्र बनायेंगे। यह सहस्त्राब्दी प्रभु श्रीराम की सहस्त्राब्दी होगी। हम सब श्रीराम के आदर्शों के अनुसार चलने की प्रेरणा लेंगे। कुल 5.25 लाख गांव में 13 करोड़ परिवारों से अधिक परिवारों के 65 करोड़ हिन्दुओं से प्रत्यक्ष जनसम्पर्क स्थापित कर जन-जन को जोडऩा है और राष्टï्र निर्माण में राष्टï्र मन्दिर का भव्य रूप बना कर भारत को परम वैभव तक ले जाना है। राममन्दिर ही रामराज्य का शंखनाद है। आइये, हम सभी गिलहरी की भांति अपना योगदान दें।
- अशोक सिन्हा

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