संघ का प्रचार विभाग: एक परिचय अशोक कुमार सिन्हा
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना भारत के नागपुर में वर्ष 1925 में डा. केशव बलिराम हेडगेवार ने की थी । संघ स्थापना का मूल उद्देश्य सम्पूर्ण हिंदू समाज का संगठन एवं व्यक्ति निर्माण करना था । चरित्रवान,अनुशासित,राष्ट्रभक्त समाज खड़ा करना चाहता है संघ ।हिंदू समाज का अर्थ है सम्पूर्ण समाज जो भारत को अपना देश ,अपनी मातृ/ पितृ भूमि मानता हो , उसकी परंपराओं के प्रति , उसके ऐतिहासिक महापुरुषों के प्रति , देश की सुरक्षा और उसके समृद्धि के प्रति,जिनकी अव्यभिचारी एवं एकान्तिक निष्ठा हो -वे जन हिंदू व राष्ट्रीय कहे जायेंगे, चाहे उनकी उपासना पद्धति अलग अलग ही क्यों न हो ।संघ उस समाज को भी संगठित करना चाहता है जो टेक्नीकली भारत का नागरिक बन कर रहना चाहते हैं ।वे सब हिंदू ही कहे जाएँगे । हिंदू ही इस राष्ट्र का सबसे अधिक जिम्मेदार नागरिक है क्यों कि इस देश का भाग्य और भविष्य हिंदुओं से ही जुड़ा हुआ है । हिंदू यह नाम है राष्ट्र का । वह राष्ट्र का रूप और प्राण है । हिंदुओं का संगठन अर्थात राष्ट्रीय संगठन ।संघ का उद्देश्य अपने इस भारत को दुनिया का एक सर्वश्रेष्ठ देश बनाना है ।ज्ञान विज्ञान ,अर्थ एवं सुरक्षा की दृष्टि में यह देश स्वावलंबी , अजेय और संपन्न हो । इसी कामना से प्रतिदिन शाखा के माध्यम से संघ व्यक्ति निर्माण और समाज संगठन का कार्य करता है । संघ का स्वयंसेवक जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में संगठन खड़ा कर के सेवा का कार्य करता है ।
संघ अपनी स्थापना के सौ वर्ष पूरे करने जा रहा है । संघ स्थापना काल के समय जो परिस्थितियाँ थी उनमें समय -समय पर बदलाव होते रहे । संघ पहले प्रचार परांमुख था । देश सेवा ,समाज सेवा और मातृभक्ति को वह प्रचार का विषय नहीं मानता है । आज भी वह समस्त समाजसेवा के कार्य को सम्पूर्ण समाज के सहयोग से ही करता है अतः प्रचार कर के श्रेय अकेले संघ नहीं लेना चाहता है। कार्य करने से जो स्वयं प्रसिद्धि प्राप्त हो वही प्रचार है । जितना कार्य उसकी ही प्रसिद्धि समाज में हो , यही उचित है। इसी लिए संघ अनावश्यक प्रचार न करते हुए कार्य करने में विश्वास रखता है । परंतु संघ की बढ़ती प्रगति , कार्य व लोकप्रियता से अनेक लोगों के आँख की किरकिरी भी यह संगठन बना । जो शक्तियाँ देश विदेश में भारत को संगठित और शक्तिशाली होते नहीं देखना चाहती थीं, उनके नज़र में संघ भी खटकने लगा । देश के अंदर भी जिनके राजनैतिक हित, वोट बैंक और तुष्टिकरण के उपर संकट आने लगा , वे अपने भी संघ के उपर आरोप लगाने लगे । वामपंथियों ने तो लगातार संघ के उपर प्रहार करना जारी रक्खा।संघ पर देश में तीन बार प्रतिबंध लगे परंतु संघ हर बार सत्य की परीक्षा में उबरा और उसपर से प्रतिबंध लगाने वालो ने ही प्रतिबंध हटाया । संघ के समक्ष कई बार परिस्थितियां बदली ।देश का विभाजन हुआ , कई बार देश पर विदेशी आक्रमण हुए , समाज को बाँटने का प्रयत्न हुआ , घुसपैठ, मतांतरण , लव जिहाद , दंगे, रामजन्मभूमि आंदोलन ,इतिहास का विकृतिकरण , आपातकाल का दंश और हिंदू समाज पर अनेकों प्रहार हुए । प्राकृतिक आपदाएं आई परंतु संघ अविचल देश और समाज की सेवा में लगा रहा और समाज को सचेत करते हुए उसे संगठित करने का कार्य करता रहा । देश के उपर के आए हर संकट पर संघ समाज के साथ कंधे से कंधा मिला कर डटा रहा । अपने अपर लगे आरोपों का समय समय पर प्रतिउत्तर भी देता रहा ।
भूमण्डलीकरण के कारण संचार व्यवस्था में क्रांति आई । 1948 में बालेश्वर अग्रवाल नामक एक स्वयंसेवक ने संघ के सहयोग से हिन्दुस्थान समाचार नामक एन न्यूज़ एजेंसी खड़ा किया ।उस समय संघ छोटा था , धनाभाव था परंतु हिन्दुस्थान समाचार की तकनीकी सबसे अच्छी थी । हिंदी में सत्य समाचारों का प्रेषण होने लगा । फिर प्रिंट मीडिया आई, समाचार पत्र आया , दृश्य संवाद आया । जानता तक पहुँच बढ़ी । रेडियो , दूरदर्शन , TV, इंटरनेट का युग आया।मोबाइल युग आया और आज देश में 120 करोड़ लोगों से अधिक के पास इंटरनेट मोबाइल है। सोशल मीडिया युग में आर्टिफीसियल इंटेलजेंस का प्रवेश हो चुका है ।समाज प्रबोधन में संघ ने भी इन सब साधनों का प्रयोग किया है ।
संघ ने भी अपने संगठन में परिवर्तन किया है । शताब्दी वर्ष आते- आते 6 कार्य विभाग क्रमशः शारीरिक,बौद्धिक,व्यवस्था,संपर्क , सेवा एवं प्रचार विभाग कार्यरत हैं। 8 गतिविधियों में क्रमशः कुटुंब प्रबोधन ,गो सेवा, समग्र ग्राम्य विकास,सामाजिक समरसता,धर्म जागरण , सामाजिक सद्भाव, पर्यावरण और मुख्य मार्ग विस्तार । 43 सम वैचारिक संगठन जो 6 समूहों में विभाजित किए गए हैं यथा वैचारिक,शिक्षा,आर्थिक , सामाजिक , सेवा एवं सुरक्षा समूह के अंतर्गत आते हैं । डेढ़ लाख से अधिक सेवा कार्य सम्पूर्ण देश में स्वयंसेवकों एवं विभिन्न सामाजिक संगठनों द्वारा संचालित हैं ।उनहत्तर हज़ार से अधिक स्थानों पर दैनिक प्रातः एवं सायं शाखाएं लगतीं है। सैतीस हज़ार साप्ताहिक मिलन, सत्रह हज़ार मासिक मिलन,व मंडली संचालित हैं। सम्पूर्ण विश्व को पाँच भागों में विभक्त कर विदेशों में तीन हज़ार से अधिक स्थानों पर भारतीय स्वयंसेवक संघ और हिंदू स्वयंसेवक संघ नाम से विदेश विभाग शाखाएं संचालित कर रहा है।संघ के शताब्दी वर्ष में पंचप्रण नामक पंचमुखी कार्य योजना कार्यान्वित की जा रही है जो क्रमशः सामाजिक समरसता, परिवार प्रबोधन, पर्यावरण संरक्षण , स्वदेशी भाव जागरण एवं नागरिक कर्तव्य के रूप में संचालित है। इसके अतिरिक्त विमर्श एवं सज्जन शक्ति संपर्क, समन्वय भाव जागरण का भी कार्य सम्पादित किया जा रहा है।
रामजन्मभूमि आंदोलन के समय 1992 में अयोध्या में ग्राउंड जीरो से सम्पूर्ण विश्व को त्वरित समाचार हिंदी और अंग्रेजी में उपलब्ध कराने के उद्येश्य से प्रथम विश्व संवाद केंद्र स्थापित किया गया था जो बाद में लखनऊ में ट्रस्ट के रूप में स्थानांतरित कर दिया गया था । आज ऐसा ही विश्व संवाद केंद्र 35 की संख्या में सम्पूर्ण भारत के सभी प्रदेशों में अपनी भवनों में स्थापित एवं संचालित हैं।यहाँ से विभिन्न पत्र पत्रिकाओं का प्रकाशन ,प्रेस वार्ता, नारद जयंती, विभिन्न महापुरुषों की जयंतियाँ, पत्रकार मिलन एवं सम्पर्क, गोष्ठियां आदि संचालित हो रहें है।
संघ के छ कार्य विभाग के अंतर्गत प्रचार विभाग की जो स्थापना सम्पूर्ण भारत में की गई है उसका आज भी उद्देश्य राष्ट्रीय विचारों का प्रसार करना ,राष्ट्र विरोधी विभाजनकारी अलगाववादी शक्तियों के प्रति समाज में जागरूकता निर्माण और हिंदुत्व की सकारात्मक बातें, तथ्यात्मक जानकारी मीडिया के माध्यम से समाज तक पहुंचाना है। प्रचार विभाग का कार्य संघ का प्रचार करना या किसी व्यक्ति का प्रचार करना नहीं है। संघ की कार्य पद्दति ही प्रचार है ।
प्रचार की जो पद्धति अपनायी जाती है उनमें प्रमुख हैं :- सोशल एवं इलेट्रानिक मीडिया के उपलब्ध माध्यमों का उपयोग,अपनी समानांतर प्रचार व्यवस्था खड़ा करना ,जहाँ कार्य नहीं वहाँ विचार पहुँचाने के उद्देश्य से जागरण पत्र/पत्रिकाओं का प्रकाशन,पांचजन्य एवं ऑर्गनाइज़र जैसी राष्ट्रीय स्तर की पत्रिकाओं का प्रकाशन,साहित्य विक्री, कंटेंट जेनरेशन,नागरिक पत्रकारिता प्रशिक्षण,मीडिया संवाद के अंतर्गत पत्रकारों की मीडिया प्रोफ़ाइल तैयार करना,मीडिया के मालिकों से ले कर रिपोर्टरों तक का नाम पता ईमेल,फ़ोन,और उनके विचारों की जानकारी रखना,मीडिया संपर्क का तंत्र विकसित करना, पत्रकारिता के छात्रों से संपर्क व संवाद ,टी वी पैनल डिस्केशंस में अपना विचार रखने वाले कार्यकर्ता का निर्माण करना,नारद जयंती आयोजित कराना,पत्रकारों के लिए संघ परिचय वर्ग तथा मीडिया कॉनक्लेव आयोजन ,संघ के बड़े उत्तरदायित्व धारी अधिकारियों के प्रवास के समय पत्रकारों से उनके निवास या कार्यस्थल पर सम्पर्क कराना ,स्तंभ लेखकों ,संपादकों , ब्लॉगरों, पोर्टल संचालकों से संपर्क , साहित्योसव मनाना, फ़िल्म महोत्सव का आयोजन करना , शाखा / नगर स्तर तक प्रचार दायित्वधारी बनाना , तथा प्रचार कार्यालयों की स्थापना , संसाधन, टेक्नोलॉजी , आर्थिक व्यवस्था , क़ानूनी व्यवस्था तथा प्रचार के सभी
की टोली खड़ी करना व वार्षिक कैलेंडर बनाना ।
प्रचार विभाग के नौ आयाम तथा प्रांत स्तर तक आयाम प्रमुखों को दायित्व सौपना भी प्रचार विभाग का कार्य है । ये नौ आयाम है क्रमशः जागरण पत्रिका, सोशल मीडिया,स्तंभ लेखक,फ़िल्म , कार्यालय व्यवस्था,साप्ताहिक पत्रिका,साहित्य विक्री,कंटेंट जेनेरेशन तथा मीडिया संवाद ।
अखिल भारतीय स्तर से ले कर नगर स्तर तक सम्पूर्ण भारत में प्रचार प्रमुख का गठन है । प्रांत स्तर पर डाटा बैंक , आर्काइव्स प्रकोष्ठ स्थापना , पुस्तकालयों की स्थापना , मीडिया मानेटरिंग का कार्य , पेपर कटिंग , समाचार तथा सूचनाओं का प्रेषण , फोटोग्राफी व वीडियो कैमरों का संचालन कार्य संपन्न होता है । यथा आवश्यकता वीडियो एवं साउंड स्टूडियो भी संचालित है। कम्युनिटी रेडियो स्टेशन का भी संचालन अपेक्षित रहता है।रेडियो जॉकी से भी संपर्क तथा उन्हें सांस्कृतिक , महापुरुषों की जीवनियाँ आदि उपलब्ध कराया जाता है।टीवी सीरियल निर्माता , फ़िल्म निर्माताओं , फ़िल्म निर्देशकों , फ़िल्म लेखकों आदि से भी सम्पर्क कर के उनको देशभक्ति पूर्ण निर्माण एवं लेखन के प्रति प्रेरणा देने का अनुरोध किया जाता है । फ़िल्मों में भी भारतीय विचारमूल्य दिखे यह अनुरोध रहता है।इन सब कार्यों के लिए अपने कार्यकर्ताओं को बराबर कार्यशालाओं के माध्यम से प्रशिक्षित भी किया जाता है।आज प्रचार कार्यकर्ता पर्यावरण, स्वच्छता,दिव्यांग कल्याण्, नारी स्वाभिमान जागरण,सांस्कृतिक मूल्यों का पुनर्जागरण में सहायता, सहभागिता कर रहा है।
लेखक विश्व संवाद केंद्र लखनऊ के सचिव तथा उत्तर प्रदेश प्रांतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी हैं।
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