Thursday, 17 February 2022

अन्नदाता की खुशहाली का बजट

 अन्नदाता की खुशहाली का बजट 2022

* अशोक कुमार सिन्हा
भारत सरकार ने एक फरवरी को 39.45 लाख करोड़ रुपये का बजट स्वीकृति हेतु संसद के समक्ष प्रस्तुत किया है। यह बजट गत वर्ष की अपेक्षा 4.61 लाख करोड़ रुपये अधिक है। बजट में ग्रामीण भारत को प्राथमिकता इस बात का संकेत है कि केन्द्र सरकार किसानों के प्रति संवेदनशील है। आज भारत खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भर है। खेती किसानी में आधुनिक सोच और तकनीक का महत्व बढ़ा है। किसान सम्मान निधि, कुसुम योजना, फसल बीमा योजना व पेंशन योजना आदि से भी किसानों की खुशहाली बढ़ी है। देश में कृषि निर्यात बढ़ाने के लिये 46 जिलों समूहों (कलस्टरों) की पहचान की गई है। किसान उत्पादक संगठन (एफ.पी.ओ.) तथा निर्यातकों को एक मंच पर लाने के लिये विशेष कदम उठाया गया है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट उद्बोधन में कहा कि हाईटेक खेती से अन्नदाता ताकतवर बनेंगे। कृषि क्षेत्र की योजनाएं तर्कसंगत बना कर समग्रता से लागू किया जाएगा। देशभर में रसायन मुक्त प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दिया जायेगा। फसल आंकलन, भूमि अभिलेख के कंप्यूटरीकरण तथा कीटनाशकों व पोषक तत्वों के छिड़काव के लिए किसान ड्रोन तकनीकि को बढ़ावा दिया जायेगा। बजट में यह दृढ़ता व स्पष्टता से संदेश दिया गया है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पहले से भी अधिक दृढ़ता के साथ लागू रहेगा। बजट प्रस्ताव में पहली बार सरकारी खरीद को सम्मिलित किया गया है। रबी 2021-22 तथा खरीफ सीज ने 12.08 करोड़ टन गेहूं व धान की सरकारी खरीद की जाएगी। इसका लाभ 1.63 करोड़ किसानों को मिलेगा। इस खरीद पर 2.37 लाख करोड़ रुपए में किया जायेगा। भुगतान सीधे किसानों के बैंक खाते में किया जाएगा।
इस बार बजट में रसायन मुक्त खेती का लक्ष्य रखते हुए प्राकृतिक खेती को अपनाने पर बल दिया गया है  जिसके लिए एक व्यापक पैकेज बनाया जायेगा। केन्द्र सरकार गंगा नदी के किनारे पांच किलोमीटर चौड़े कॉरिडोर में प्राकृतिक खेती पर विशेष बल देते हुए पूरे देश में रसायन मुक्त खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। इससे देश के 80  प्रतिशत किसानों को लाभ मिलेगा।
कृषि में मोटे अनाजों की खेती को बढ़ावा देने के लिये वर्ष 2023 को अन्तर्राष्ट्रीय पोषक अवाज वर्ष घोषित किया गया है। किसानों की माली हालत को मजबूत बनाने के लिये एग्रो व निजी वनीकरण को प्रोत्साहन देने का फैसला लिया गया है। तिलहनी फसलों की खेती पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। जिसके लिये बजट में विशेष ध्यान रखा गया है। इससे देश में आयात घटेगा।
आधुनिक खेती के साथ प्राकृतिक व जीरो बजट खेती के लिये मानव संसाधन व विज्ञानी तैयार करने के लिये देश के सभी कृषि विश्वविद्यालयों अनुसंधान संस्थानों के शैक्षणिक पाठ्यक्रम में मूल्यवर्धन पर जोर दिया जायेगा जिसके लिये भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पाठ्यक्रम तैयार करने हेतु एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है।
विशेष हाईटेक कृषि हेतु सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र (पी.पी.पी. मॉडल) में सम्मिलित प्रयास से गठित फण्ड से कृषि क्षेत्र के स्टार्टअप की मदद की जायेगी जो कृषि उत्पादों के मूल्यवर्धन, पट्टे पर खेती करने और सहकारी खेती करने के लिए कृषि मशीनरी आदि तैयार करेंगे।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि के अंतर्गत प्रतिवर्ष केन्द्र सरकार 6000 हजार रुपये सहायता राशि के बजट में 3000 हजार करोड़ रुपये की और वृद्धि की घोषणा की है।
रूपये 44.605 करोड़ रुपये की केन-बेतवा नदी परियोजना के लिये 1,400 रूपये का आवंटन किया गया है। इससे नदियों को जोड़ कर सिचांई से खुशहाली लाने का अभिनव प्रयास किया गया है। पानी की कमी से जुझ रहे बुन्देलखण्ड की प्यास बुझेगी। 9.08 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में इस परियोजना से सिचांई हो सकेगी। 62 लाख लोगों को पीने का पानी उपलब्ध होगा। परियोजना में 103 मेगावाट बिजली और 27 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन भी होगा। इसी प्रकार देश की नदियों को जोड़ने की और योजना संचालित हो रही है। बजट में सहकारिता के टैक्सेशन की विसंगतियाँ दूर कर दी गई है। कृषि में टिकाऊ विकास पर फोकस किया गया है।
वर्ष 2022-23 के बजट में देशभर के किसानों को डिजिटल और हाईटेक सेवाओं के वितरण के लिये किसान ड्रोन तकनीकि को बढ़ाने का प्रयास किया गया है। जिससे युवाओं को रोजगार मिलेगें। फसल मूल्यांकन, भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण, कीटनाशकों व पोषक तत्वों के छिड़काव में मदद मिलेगी।
किसानों को फल व सब्जियों की सही प्रजातियों का प्रयोग करने के लिये सरकार पैकेज देगी जिसमें राज्य की भी भागीदारी होगी। कृषि उपकरण सस्ते होंगे। नाबार्ड की सहायता से कृषि से जुड़े स्टार्टअप और ग्रामीण उद्यम को वित्तीय सहायता दी जायेगी। इमरजेंसी क्रेडिट लाइन स्कीम से किसानों की मदद की जायेगी। फसल बीमा योजना के लिये 15,500 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है जिससे बाढ़, सूखा, महामारी, आदि के समय किसानों की फसल बर्बाद होने पर क्षतिपूर्ति हो सकेगी।
उर्वरक सब्सिडी पर 1,05,222 करोड़ रुपये व्यय करने का प्राविधान है। इससे सस्ती दर पर खाद मिल सकेगी। कृषि एवं संबद्ध कार्य कलाप पर बजट से 1,51,527  करोड़ की धनराशि के बंदोबस्त की बात कही गई है। 2021-22 में यह आकड़ा 1,47,764 करोड़ रुपये था। सरकार दूध, शहद, मछली उत्पादन में किसानों की विशेष प्रोत्साहन योजना को कार्यान्वित किया जायेगा। वर्ष 2020-21 में देश में 1,984 लाख टन दूध का उत्पादन हुआ है। बीते 5 वर्षों में खाद्यान उत्पादन सर्वाणिक रहा है। मछली उत्पादन वर्ष 1950-51 में 752 हजार टन था जो करीब अब 20 गुना अधिक हो गया है।
कुल मिला कर यह बजट वृद्धि को गति देने वाला और खपत तथा रोजगार को बढ़ावा देने वाला बजट है। अन्नदाता इस बजट से अपने जीवन की खुशहाली में वृद्धि कर सकेगा।


***2023 मोटा अनाज वर्ष घोषित****
मोनोक्रॉपिंग (एक तरह की खेती) से भूजल संकट बढ़ता जा रहा है। अब किसानों को मोटे अनाज पैदा करने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। जिससे मानव स्वास्थ्य के साथ ही मिट्टी की सेहत भी बरकरार रहे। सरकार द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मोटे अनाज की घरेलू खपत को बढ़ाने के लिए उत्पादन से लेकर बिक्री तक में सहायता की जाएगी। मोटे अनाज कम पानी में पैदा हो जाते हैं, इससे उन जगहों पर बढ़ावा दिया जाएगा जहां पानी का संकट है। जिससे कि भूजल का दोहन कम हो और कीटनाशकों का अन्धाधुन्ध इस्तेमाल पर भी रोक लगे।  
* लेखक विश्व संवाद केन्द्र, लखनऊ के प्रमुख है।

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