Saturday 23 October 2021

 योगेश्वर श्री कृष्ण

* अशोक कुमार सिन्हा
श्री कृष्ण जन्माष्टमी प्रत्येक वर्ष की भा΄ति इस वर्ष भी भाद्र मास कृष्णपक्ष अष्टमी तदनुसार 30 अगस्त 2021 को सम्पन्न होगा। श्री कृष्ण के बाल एव΄ किशोर वय के अनेकानेक विविध रूप का वर्णन मिलता है परन्तु उनका योगेश्वर कर्मयोगी स्वरूप की चर्चा अपेक्षाकृत कम ही मिलती है। भारत के सच्चे अर्थों मे΄ राष्ट्रनायक श्री कृष्ण ही थे जिन्हो΄ने युद्ध क्षेत्र मे΄ शा΄ति का स΄देश दिया था।
भारत का सा΄स्कृतिक महानायक, कर्मयोगी कलाधर, युगानुकूल व्यूहरचना धर्मी योगेश्वर श्रीकृष्ण का जीवन हमारे लिए एक आदर्श है। वे परम पराक्रमी पुरुषार्थी तथा विश्वसनीय हितकारी मित्र थे। वे प्रेममय लीला अवतारी, ज्ञानयोग के परमपुरुष तथा देश समाज के कल्याण के लिये स΄कल्पबद्ध थे। वे पुरुषार्थ चतुष्ठïय के सन्तुलनकर्ता, नीतिशास्त्र के परमज्ञाता एव΄ त्रिगुण के जीवनधारी लीला पुरुष थे। उनका जीवन युगो΄-युगो΄ मे΄ आदर्श रहने वाला है। शिशु, बाल, किशोर, युवा और प्रौढ़ सभी आयु के लोगो΄ के लिये वे सदैव आदर्श रहे΄गे। सुदामा के मित्र, यज्ञ मे΄ अतिथियो΄ का पांव धोना, सर्वोाम सर्वांगसम सारथी, तिरस्कृत नारी के रक्षक, गुरु सेवा, गोपियो΄ के आदर्श सखा, कर्म और आत्मा की अमरता का स΄देशवाहक, कर्मयोग के व्याख्याता आत्मदर्शन कराने वाले मित्र और दुष्टïो΄ के स΄हारक जैसे जीवन के प्रत्येक आदर्श को प्रस्तुत करने वाले परमज्ञाता श्री कृष्ण सदैव प्रासा΄गिक रहे΄गे। श्रीकृष्ण के जीवन से प्रेरणा लेने वाले आज सम्पूर्ण विश्व मे΄ फैले है΄। आज के युग मे΄ जीवन को सफल बनाना है तो श्रीकृष्ण का जीवनदर्शन उाम पाथेय है। यश, विजय और समृद्धि श्रीकृष्ण के जीवन मार्ग से ही सर्वोाम प्राप्त होगी। भगवान योगेश्वर श्रीकृष्ण परमात्मा भी है΄, सच्चिदानन्द और अविनाशी है΄। उनका विश्वास था कि दुख के संयोग के वियोग का नाम ही योग है। कर्मयोग, ध्यानयोग और भितयोग का समन्वय ही श्रीकृष्ण हैं।
यज्ञ, दान और तप को जीवन का आवश्यक तत्व मानते हुये निष्काम कर्म योग ही श्रीकृष्ण है΄। सम्पूर्ण सृष्टि सतोगुण, रजोगुण और तमोगुण के भावो΄ का मिश्रण ही सम्पूर्ण सृष्टि है। सृष्टि की विविधता मे΄ त्रिगुणात्मक तत्व की समग्रता है, यही श्रीकृष्ण ने माना है। वे कलाधर और नटवर नागर कहे जाते है΄। पूरा जीवन ही उनका विविधता और विषमताओ΄ से भरा दिखाई देता है। जन्म कारागार मे΄ हुआ, जन्म लेते ही काली अ΄धेरी रात मे΄ विस्थापित होना पड़ा। जन्म के समय माता-पिता ब΄दी थे। गोकुल मे΄ 9 वर्ष का बालपन आत्मघाती राक्षसो΄, जहरीले नाग और अनेक स΄कटो΄ और हत्या के प्रयासो΄ को विफल किया। उनका जन्म ही पृथ्वी से अनाचार, अत्याचार की समाप्ति के लिए हुआ था। गोकुल से बाहर आते ही कंस वध कर माता-पिता व अन्य स्वजनो΄ को मुत कराना पड़ा। युवावस्था मे΄ जरासन्ध सहित कई अत्याचारियो΄ का वध करना पड़ा। राजधानी मथुरा से द्वारिका स्थानान्तरित करना पड़ा। कौरव-पाण्डव के मध्य उन्हो΄ने शा΄ति स्थापना के समस्त प्रयास किये और अन्तत: उन्हे΄  युद्ध  अवश्यम्भावी दिखने पर मित्र अर्जुन और द्रौपदी की रक्षा करते हुये ऐसे जीवन सूत्रो΄ का वर्णन करना पड़ा जिसकी प्रास΄गिकता आज भी उतनी है जितनी द्वापरयुग मे΄ थी। जहा΄ योगेश्वर श्रीकृष्ण है और जहा΄ गाण्डीव धनुर्धारी अर्जुन है΄, वही΄ पर लक्ष्मी, वही΄ पर विजय, विभूति और धर्म है। आज भी जब व्यित के जीवन मे΄ स΄शयात्मक परिस्थितियाँ आती है΄ तब व्यित का मार्गदर्शन श्रीकृष्ण की ही वाणी करती है। अर्जुन का संशय दूर कर उन्हो΄ने विश्व के कल्याण का मार्गदर्शन किया। उनके वाणियो΄ का वर्णन एव΄ स΄ग्रह श्रीमद्भागवत गीता मे΄ इस प्रकार वर्णित है जिसका मान सम्मान सम्पूर्ण विश्व मे΄ है।
श्रीमद्भागवत गीता 18 अध्यायो΄ से युत है। अर्जुन विषाद योग, सांख्य योग, कर्मयोग, ज्ञान कर्म सन्यास योग, कर्म सन्यास योग, आत्मस΄यम योग, ज्ञान विज्ञान योग, असर, राजविद्या राजगुच योग, विभूतियोग, विश्वरूप दर्शन योग, भितयोग, क्षेत्र विभाग योग, गुणत्रय विभाग योग, पुरुषोाम योग, देवासुर सम्पद्विभाग योग, श्रद्धात्रय विभाग योग तथा मोक्ष सन्यास योग, अध्यायो΄ मे΄ विभाजित है। ये सभी योग मनुष्य कल्याण हेतु आज भी प्रसा΄गिक एव΄ हितकारी है΄। श्रीकृष्ण स्वय΄ भगवान है΄। उनके जन्म से लेकर गोलोक गमन तक उनकी लीलाये΄ स्वय΄ प्रदर्शित करती है΄ कि वह योगेश्वर थे। भगवान के 10 अवतारो΄ मे΄ से एक थे श्रीकृष्ण अवतार को पूर्ण अवतार की मान्यता जन-जन मे΄ है। विश्व मे΄ कर्मफल माना जाता है श्रीकृष्ण इस लैकिक जगत मे΄ श्रीहरि विष्णु के 16 कलाओ΄ से युत सम्पूर्ण अवतार  थे। वे साहित्य, कला, संगीत, नृत्य और योग विशारद थे। उन्हो΄ने जन-जन की रक्षा हेतु इन्द्र इत्यादि दैवीय शितयो΄ या ताकतवर लोगो΄ के अलावा वैदिक देवताओ΄ के विरुद्ध भी श΄खनाद किया। उन्हो΄ने सम्पूर्ण विश्व को कर्मयोग और भौतिकवाद से जोड़ा।
श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर योगेश्वर श्रीकृष्ण को इस दृष्टि से स्मरण करना भी मानव कल्याण हेतु परम आवश्यक है।
* लेखक विश्व स΄वाद केन्द्र अवध अवध के प्रमुख है΄।

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