Saturday 23 October 2021

 उत्तर प्रदेश की अस्मिता


- अशोक कुमार सिन्हा

उत्तर प्रदेश की अस्मिता का अर्थ है उत्तर प्रदेश की पहचान और उसके प्रतिष्ठित होने की अवस्था। उत्तर प्रदेश भारत की हृदय स्थली है। यह मात्र भौगोलिक इकाई नहीं एक विचारधारा, एक जीवंत जीवन शैली, एक चिंतन परंपरा, उदांत भावना, संस्कृतियों का संगम, विराट अनुभूति और वैचारिक ऊर्जा का अक्षय स्रोत है। उत्तर प्रदेश पहचाना जाता है अयोध्या के प्रभु श्रीराम, मथुरा के श्री कृष्ण की जन्मस्थली, भगवान बुद्ध के उपदेश, महापरिनिर्वाण, तपस्थली से। भगवान महावीर की कर्मस्थली, संत तुलसीदास, सूरदास, कबीरदास, रामानंद, संत रविदास, मलिक मोहम्मद जायसी की जन्मस्थली यही प्रदेश है। वैदिक काल में यह भू-भाग ब्रह्मदेव व मध्य प्रदेश विख्यात था। बाद में आगरा और अवध सूबों को मिलाकर संयुक्त प्रांत बना जिसकी राजधानी प्रयागराज (तत्कालीन इलाहाबाद) बनाई गई थी। वर्ष 1920 में राजधानी लखनऊ शहर को बनाया गया। 26 जनवरी 1950 को यह उत्तर प्रदेश के नाम से विख्यात हुआ। वर्तमान में उत्तर प्रदेश की जनसंख्या लगभग 23 करोड़ हो गई है। वर्तमान क्षेत्रफल 2,40,928 वर्ग किलोमीटर है जिसको मोक्षदायिनी गंगा, यमुना सहित रामगंगा, राप्ती, गोमती, घाघरा (सरयू), बेतवा और केन नदियां सींचती है। काशी, मथुरा, अयोध्या, प्रयागराज, गोरक्षनाथ का गोरखपुर, क्रांति तीर्थ मेरठ, नोएडा, आगरा, कानपुर, सहारनपुर, बलिया जैसे नगरों से सुशोभित यह प्रदेश अपने आप में अति प्राचीनता समेटे हुए है। सात मोक्षदायिनी नगरों में काशी मथुरा और अयोध्या उत्तर प्रदेश में ही हैं।

          अयोध्या, मथुरा, माया, काशी, कांची, अवंतिका पुरी।
           द्वारावती, चैव सप्तैते मुक्ति मुक्तिदा:।।

              प्रभु राम की जन्मस्थली पर अयोध्या में विश्व प्रसिद्ध राम मंदिर का निर्माण हो रहा है। बुद्ध के समय में कौशल की राजधानी वैसे तो श्रावस्ती थी किन्तु बाद में यहां से हटा कर साकेत अर्थात अयोध्या में स्थापित कर ली गई थी। इसकी गणना बुद्धकालीन महानगरों में की गई है। प्राचीन ग्रंथों में वर्णित प्रयागराज हिन्दुओं की सप्तपुरियों मे से एक है। यह त्रिवेणी के संगम पर ऋषियों की प्रमुख यज्ञ भूमि है।

               संगम में स्नान कर लेने पर पुनर्जन्म नही होता। यहां से 45 किमी पश्चिम में यमुना के तट पर कौशाम्बी जो पूर्व में हस्तिनापुर नरेश निचक्षु की राजधानी रही है, बसा है। वरुण और अस्सी नदियों के मध्य अति प्राचीन काल में दिवोदासु द्वारा उत्तर वाहिनी गंगा के तट पर बसी काशी विश्व की प्राचीनतम जीवित नगरों में से एक है जो काशी विश्वनाथ मंदिर, सारनाथ, बनारसी रेशमी साड़ियों, साहित्य , दर्शन, व ज्योतिष के लिये प्रसिद्ध है। मथुरा भगवान कृष्ण की जन्मस्थली, यमुना तट, शूरसेन राजाओं की राजधानी, वैष्णव सम्प्रदाय का प्रमुख केन्द्र, मथुरा कला का केंद्र, उत्तरापथ के महापथों का महत्वपूर्ण मिलन बिन्दु है। भगवान राम के पुत्र कुश द्वारा बसायी नगरी कुशीनगर गोरखपुर से 72 किमी पूर्व बिहार से सटा गौतम बुद्ध का महापरिनिर्वाण स्थली है। यहा मल्ल गणतन्त्रों का शासन केन्द्र था। उत्तर प्रदेश का आगरा विश्व प्रसिद्ध ताज महल के रूप में विख्यात है। यह भी उत्तर प्रदेश की पहचान है। लक्ष्मण पुरी के पूर्व नाम से विख्यात लखनऊ उत्तर प्रदेश की राजधानी एवं उत्तर भारत के सबसे सुन्दर व शान्त नगर के रूप में विख्यात है। सूत-शौनक आदि अट्ठासी हजार ऋषियों की तपोभूमि नैमिषारण्य सीतापुर जनपद में है।

                  उत्तर प्रदेश की एक पहचान यहां का हिन्दी साहित्यकार भी है। कबीर, जायसी, सूर, तुलसी से ले कर भारतेन्दु हरिश्चन्द्र, मुंशी प्रेमचंद, सुमित्रानंदन पंत, जयशंकर प्रसाद, निराला, महादेवी वर्मा, हजारी प्रसाद द्विवेदी, रामचंद्र शुक्ल, राहुल सांस्कृत्यायन, अमृतलाल नागर है उत्तर प्रदेश की अस्मिता। यह प्रदेश देश को सर्वाधिक प्रधानमंत्री देने में भी अपनी पहचान रखता है। यह प्रदेश राज ऋषियों का प्रदेश भी है। महर्षि व्यास भी उत्तर प्रदेश की पहचान है। काशी के संस्कृत विद्वान योग, ज्योतिष और कर्मकाण्ड में विख्यात है। भारत कला भवन (काशी), रामकथा संग्रहालय (अयोध्या) राजकीय संग्रहालय मथुरा, झांसी, रामगढ़ ताल गोरखपुर, सुल्तानपुर, कैसरबाग (लखनऊ), कुशीनगर, कन्नौज आदि में असर प्रदेश की अस्मिता का प्रमाण प्रत्यक्ष मिल जायेगा।

                  शास्त्रीय संगीत एवं संगीत घरानों के लिये भी उत्तर प्रदेश विख्यात है। यहां की संगीत परम्परा न केवल प्राचीनतम है बल्कि सबसे अधिक समृद्ध रही है। आगरा, रामपुर, बनारस, लखनऊ (अवध), संगीत को आश्रय देने वाली प्रमुख रियासतें थी। पं. विष्णु नारायण भारतखंडे का प्रयास उत्तर प्रदेश में ही फलीभूत हुआ। पं. रविशंकर का सितार वादन, पागलदास पखावजी, स्वामी हरिदास एवं अष्टाचार्य गिरिजा देवी, नौशाद, सम्भूनाथ मिश्र, गुदाई महाराज, उदयशंकर, फैय्याज खाँ, बेगम अख्तर, बिरजू महाराज, लच्छू महाराज, शंभू महाराज आदि उत्तर प्रदेश के अस्मिता के प्रतीक हैं। रामनगर (काशी) की विश्व प्रसिद्ध रामलीला संयुक्त राष्ट्र संघ के हेरिटेज मेला में सम्मिलित हो गई हैं। यहां की लोक नाट्य उत्तर प्रदेश की पहचान बन गये हैं।

                  बनारस की हस्तशिल्प से निर्मित साड़ी, लखनऊ का चिकन दस्तकारी, जरदोजी, जरी आदि उत्तर प्रदेश की पहचान बन चुकी है। प्रयाग का कुम्भ, चित्रकूट का रामायण मेला, काशी का सावन मेला विश्व प्रसिद्ध हैं। उत्तर प्रदेश की अवधी, ब्रज, बुन्देली, भोजपुरी, कन्नौज और कौरवी बोलियां यहां की अस्मिता है। आगरा, रामनगर (काशी), झांसी इलाहाबाद (अब प्रयागराज) कालिंजर, चुनार, विजयगढ़, अगोरी गढ़ (मिर्जापुर) कंस मिला (मथुरा) के किले प्राचीन दुर्ग है उत्तर प्रदेश की पहचान। वृन्दाबन व बरसाने की होली विश्व में अपनी पहचान रखते हैं।

                  1857 की स्वाधीनता संग्राम में उत्तर प्रदेश ने अपनी अलग पहचान बनाई। उत्तर प्रदेश में क्रान्ति आन्दोलन और अमर शहीदों की पूरी श्रृंखला विद्यमान है जो उत्तर प्रदेश की पहचान बन चुके हैं। अमर बलिदानी मंगल पाण्डेय, बेगम हजरत महल, राजेन्द्र लाहिड़ी, नाना साहब की प्रमुख सहायिका अजीजन, राम प्रसाद बिस्मिल, चंद्रशेखर आजाद, दुर्गा भाभी, रानी लक्ष्मी बाई, झलकारी बाई, उदा देवी, महाराज बिजली पासी, रामप्रसाद बिस्मिल रोशन सिंह, महाराजा चेतसिंह (काशीराज), अजीमुल्ला खां, चिन्तू पाण्डेय, तात्या टोपे, राजा बेनी माधव, देवी बक्श सिंह, अशफाक उल्ला खाँ आदि ऐसे नाम हे जो उत्तर प्रदेश में हुए, जन्मे परन्तु विश्व में अपना नाम गर्व से ऊंचा कर गये। यहां का काकोरी काण्ड, मेरठ छावनी की क्रांति, गोरखपुर का चौरी-चौरा जनविद्रोह, बनारस षड्यंत्र, मैनपुरी षड्यंत्र, स्वतन्त्रता संग्राम के केन्द्र बिन्दु रहे। लखनऊ की रेजीडेंसी, छतर मंजिल, कैसरबाग, क्रांति की निशानियां है। कवि पत्रकार माखनलाल चतुर्वेदी, श्याम लाल गुप्त पार्षद हरिकृष्ण प्रेमी, सुभद्रा कुमारी चौहान, मैथिलीशरण गुप्त, रामनरेश त्रिपाठी, गया प्रसाद शुक्ल सनेही सोहन लाल द्विवेदी, कवि क्रान्तिकारी वचनेश त्रिपाठी है उत्तर प्रदेश की अस्मिता।

                 शहीद शिरोमणि गणेश शंकर विद्यार्थी जिसके टक्कर का जीवन क्रांतिकारी पत्रकार इस धरती पर दूसरा पैदा नही हुआ। क्रान्तिकारी पत्र-पत्रिकाओं में स्वराज, कर्मवीर दैनिक आज, तरुण भारत, प्रताप, वर्तमान, अभ्युदय, रणभेरी, दैनिक स्वदेश, राष्ट्र धर्म, वीर अर्जुन, पांचजन्य, विकासवीर अर्जुन, कागजी देह हो कर भी वैचारिक क्षेत्र में स्वतंत्रता के अजेय योद्धावीर ही तो थे।

                    श्रमिक आन्दोलन में उत्तर प्रदेश अपनी अलग पहचान रखता है। यहां का कानपुर नगर प्रमुख औद्योगिक नगर है। जुग्गीलाल कमलापति, सिंघानिया, मंगतराम  जैपुरिया, रामरतन गुप्त, हरिशंकर वागला, सर जे.पी. श्रीवास्तव, ब्रिटिश इंडिया कार्पोरेशन, एल्गिन, अर्थटन वेस्ट, लाल इमली, जे.के. जूट जे.के स्टील, मिर्जा टेनरी आदि कारखाने नगर की पहचान थे।

                           उर्दू साहित्य के मीर तकी मीर, मिर्जा मोहम्मद रफी 'सौदा' रघुपति सहाय फिराक गोरखपुरी, पं. बृजमोहन चकबस्त, ख्वाजा हैदर अली आतिश, नाखिस लखनवी, मीर अनीस, मजीर अकबराबादी, मुंशी प्रेमचंद, अस्मत चुगताई, अकबर इलाहाबादी, असगर गोंडवी, जोश मलीहाबादी, जिगर मुरादाबादी, मजरूह सुल्तानपुरी, सरदार जाफरी, मजाज, कैफ़ी आज़मी, शहरयार आदि ऐसे नाम है जो उर्दू जबान की अस्मिता हैं।

                                     गोरखपुर का गोरक्षपीठ नाथ समुदाय का प्रसिद्ध पीठ है। देवी पाटन इसका उप केन्द्र है। यहाँ की हठयोग परंपरा प्रसिद्ध है। बाबा गोरखनाथ के भक्त, भारत, नेपाल और दक्षिण पूर्व एशिया के कई देशों में फैले हुये है। राम जन्म भूमि आन्दोलन में इस मठ का बड़ा योगदान है। यहां के वर्तमान महंत योगी आदित्यनाथ भी उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में उत्तर प्रदेश की पहचान बन गये हैं। यहां का एक सन्यासी कैसे राजपाट का संचालन करता है यह विश्व का ध्यान खींच रहा है। विकसित होते नगर, मेट्रो, कानून व्यवस्था, फिल्म सिटी, सड़कें, बढ़ते उद्योग, एक जिला -एक उत्पाद, यह सब भी प्रदेश की पहचान बनते जा रहे है। राजनीति की भाषा में इस योगी युग के रूप में पहचाना जायेगा।
                                              लेखक विश्व संवाद केंद्र लखनऊ के प्रमुख तथा पूर्व वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी है

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