Thursday 27 August 2020

 

राष्ट्र के पुनरुत्थान का दिन


अशोक कुमार सिन्हा 

५ अगस्त 2020 भारत राष्ट्र के पुनरुत्थान का दिन बन गया है। इसी दिन वर्ष 2019 में जम्मू एवं काश्मीर से धारा 370 समाप्त हुआ और इसी दिन वर्ष 2020 में प्रभु श्रीराम के जन्मस्थान पर भारत के प्रधानमंत्री द्वारा भूमिपूजन कर मन्दिर निर्माण का शुभारम्भ किया गया। यह मात्र मन्दिर का शुभारम्भ नही राष्ट्रमन्दिर, राष्ट्रीय मूल्य, विरासत के प्रतीक और सनातन परम्परा का प्रमाण भूमि पूजन एवं कार्यारम्भ था। 5वीं सदी के अविरल संघर्षमय, जनतान्त्रिक धैर्य के बाद एक अनुपम संयोग एवं युगान्तरकारी घटना है। भारतीय संस्कृति, जीवनमूल्य एवं सनातन परम्परा के आदर्शतम सर्वोत्तम, पुरुषोत्तम स्वरुप भगवान श्रीराम की बालरुप मूर्ति जिसको 25 मार्च को टेन्ट से अस्थायी मन्दिर में स्थानान्तरण किया गया था, के लिये विश्ïव के भव्यतम् मन्दिर में ले जाने का कार्यारम्भ हुआ। प्रभु राम राष्ट्रपुरुष है तथा भारतीय संस्कृति के लिये यह संक्रान्ति का दिन था। अयोध्या का सम्बन्ध सभी भारतीय पन्थों एवं सम्प्रदायों से है। यही कारण है कि 36 मत, पन्थ के कुल १35 प्रतिनिधि कार्यक्रम में उपस्थित थे। यह भारत के इतिहास में एक अनोखा और पहला एकत्रीकरण था। यह भारत की सांस्कृतिक, धार्मिक और सामाजिक एकता एक अनूठी एकता का प्रतीक था। अयोध्या से जैनपन्थ के 06 तीर्थंकरों का जन्म से सम्बन्ध रहा है। इसी प्रकार सिख पन्थ के गुरुओं ने सेना लेकर रामजन्मभूमि की रक्षा हेतु युद्ध किया है। कोरिया की राजकुमारी का मायका अयोध्या ही है। बौद्ध धर्म का केन्द्र भी अयोध्या रहा है। अयोध्या का नेपाली राम मन्दिर नेपाल की रानी द्वारा भव्यरुप में बनवाया गया है, जहां उन्होने वर्षों पूजा अर्चना की है। राम सबके हैं और सबमें राम है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री मा. नरेन्द्र मोदी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूज्य मोहनराव भागवत का ऐतिहासिक सम्बोधन राष्ट्र के दिल को छू गया। इस अवसर पर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तथा श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास के अध्यक्ष महन्त नृत्य गोपालदास ने भी अपने जो उदï्गार व्यक्त किये, उससे स्पष्ट होता है कि अयोध्या का कायाकल्प होगा। इस अवसर पर देशभर से समस्त नदियों का जल, पवित्र भूमियों की मिट्टी एकत्र कर नींव में डाला गया। प्रधानमंत्री ने पारिजात वृक्ष का पौधा रोपित किया। प्रधानमंत्री ने प्रारम्भ में ही अयोध्या के संकटमोचक वीर हनुमान का दर्शन कर कार्य पूरा करने की अनुमति आशीर्वाद के रुप में लिया। भारत के किसी प्रधानमंत्री की यह प्रथम यात्रा थी जिसमें श्री नरेन्द्र मोदी ने रामलला के समक्ष साष्टांग दण्डवत् कर दर्शन किया तथा गर्भगृह के स्थान की मिट्टी माथे से लगाई। सचमुच यह सब अकल्पनीय दृश्य थे। भारत धर्म के लिये राम एक वैश्ïिवक अवधारणा हैं। आशा ही नहीं वरन पूर्ण विश्वास है कि अब सांस्कृतिक भारतीय राष्ट्र की भावना प्रबल होगी तथा अयोध्या तीर्थ का समग्र चतुर्दिक विकास सम्भव होगा।

 

 

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